Kerala Budget: नकदी संकट (Cash Crunch) से जूझ रही केरल सरकार (Kearala Government) ने शुक्रवार को विधानसभा में अपना बजट (Budget) पेश किया। इसमें पेट्रोल, डीजल (Petrol- Disel) और भारत में निर्मित विदेशी शराब (Liquor) पर सामाजिक सुरक्षा उपकर (Social Security Cess) सहित 2,955 करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कर प्रस्तावों की घोषणा की गई है।
सामाजिक सुरक्षा कोष में 750 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व आने की उम्मीद
वित्त मंत्री के एन बालगोपाल (Finance Minister K N Balagopal) द्वारा पेश बजट भाषण के प्रस्तावों में एक प्रमुख कर प्रस्ताव (Tax Proposal) पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर 2 रुपये प्रति लीटर की दर से सामाजिक सुरक्षा उपकर (Social Security Cess) था। वित्त मंत्री ने कहा कि आम आदमी को प्रभावित करने वाले सरकार के इस कदम से सामाजिक सुरक्षा कोष में 750 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व आने की उम्मीद है।
Tax on IMFL बढ़ाने का भी प्रस्ताव
Kearala BUdget बजट में आईएमएफएल पर कर (Tax on IMFL) बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। इस पर पहले से ही 251 प्रतिशत कर लगाया जाता है। यह देश में सबसे अधिक है। सरकार आईएमएफएल की प्रत्येक बोतल के लिए 20 रुपये या 40 रुपये की दर से सामाजिक सुरक्षा उपकर लगाकर 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने की परिकल्पना कर रही है।
Kearala Budget के तीन मुख्य आकर्षण
आगामी विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह के आसपास उभरती व्यावसायिक क्षमता का दोहन करने के लिए बजट के कुछ मुख्य आकर्षण में एक 1,000 करोड़ रुपये का औद्योगिक गलियारा है। दूसरा आकर्षण रबर किसानों के लिए 600 करोड़ रुपये समर्थन मूल्य का ऐलान है। मुद्रास्फीति को रोकने के लिए बाजार हस्तक्षेप के लिए 2,000 करोड़ रुपये और घरेलू उत्पादन और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन केरल’ योजना बजट का तीसरा प्रमुख आकर्षण है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन नीति से 57 लाख लोगों को फायदा
शराब और ईंधन पर लगाए गए सामाजिक सुरक्षा उपकर (Social Security Cess) का जिक्र करते हुए बालगोपाल ने कहा, “सरकार समाज के कमजोर वर्गों को सामाजिक सुरक्षा (Social Security) प्रदान करने के लिए अपनी सर्वोच्च प्रतिबद्धता जारी रखे हुए है। सरकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन की वर्तमान नीति से लगभग 57 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। व्यय को पूरा करने की वित्तीय प्रतिबद्धता बढ़ रही है और प्रति वर्ष 11,000 करोड़ रुपये तक पहुंच रही है। इस कमजोर वर्ग () के सभ्य जीवन की रक्षा जारी रखने की प्रतिबद्धता के लिए वित्तीय संसाधनों को पूरा करने की आवश्यकता है।”