रेड्डी ने यह टिप्पणी कांग्रेस की राज्य इकाई द्वारा, संसदीय चुनाव और 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण जानने के लिये, समिति गठित किये जाने के एक दिन बाद की। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, “पार्टी को राज्य सरकार में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी के अभाव के चलते लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। संगठनात्मक दृष्टिकोण का अभाव और कांग्रेस के कुछ मंत्रियों का प्रदर्शन भी हार का कारणों में शामिल हैं।’’ राज्य के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने से निराश रेड्डी ने दावा किया कि मंत्रिमंडल में शामिल किये गए कांग्रेस के कुछ कनिष्ठ नेता “अनुभवहीन” हैं।
इनके साथ ही राज्य के कांग्रेस नेता रोशन बेग ने कहा, “मैं कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं। मैंने पार्टी के राज्य नेतृत्व के खिलाफ बोला है, केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोले हैं। जो कुछ भी यहां हो रहा है, हम उसे चुपचाप बर्दास्त नहीं कर सकते हैं। रामलिंगा और मेरे जैसे वरिष्ठ नेताओं को किनारे किया जा रहा है।”
दूसरी ओर जेडीए एस के राज्य प्रमुख एच. विश्वनाथ ने इस्तीफा देने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं।’’ बताया जाता है कि विश्वनाथ उपेक्षा किए जाने और पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में विश्वास में नहीं लिए जाने को लेकर कथित रूप से नाखुश थे। हाल ही में वह कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के कामकाज को लेकर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया से सार्वजनिक तौर पर उलझ गए थे। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में भाजपा का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। पार्टी को 28 में से 25 सीटें मिलीं। सत्तारूढ़ जद(एस) और कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक-एक सीट गई। 28वीं सीट निर्दलीय उम्मीदवार के हिस्से में आयी। (भाषा इनपुट के साथ)