कर्नाटक की भाजपा सरकार ने धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक विधेयक तैयार किया है। जिसे कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण विधेयक 2021 का नाम दिया गया है। इस विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों, नाबालिगों और महिलाओं के दूसरे धर्म में जबरन धर्मांतरण के लिए अधिकतम 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान रखा गया है।
सत्तारूढ़ भाजपा इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक विधानसभा में पेश करने पर जोर दे रही है। राज्य सरकार ने प्रस्तावित कानून की वैधता की जांच के लिए पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें भी आयोजित की हैं। बुधवार रात को विधायक दल की हुई बैठक में भाजपा ने यह निर्णय लिया कि मौजूदा सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा।
धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़े विधेयक को तैयार कर रहे गृह मंत्रालय के मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे सी मधुस्वामी के साथ बैठक की। बाद में राज्य के मुख्य सचिव ने भी गृह सचिव और संसदीय मामलों के सचिव के साथ बैठक की और प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा की गई।
सरकार के सूत्रों के अनुसार विधेयक में धर्मांतरण के लिए दी जाने वाली सजा को लेकर अभी भी मतभेद हैं। सरकार के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने अंतिम निर्णय राज्य मंत्रिमंडल के विवेक पर छोड़ने का फैसला किया है जो जल्द ही विधेयक को सदन में पेश किए जाने से पहले इसे देखेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि विधेयक में धर्मांतरण के लिए सजा को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि हमने अलग अलग राज्यों के धर्मांतरण कानून पर विचार किया है। साथ ही हमने उन निर्णयों पर भी विचार किया है जो इस कानून को चुनौती दिए जाने के समय दिए गए हैं। इन सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद ही इस विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है। 20 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक होगी और इस विधेयक को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद अगले सप्ताह में सदन में इस विधेयक को पेश किया जाएगा।
भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी कानून के अनुसार गलत बयानी, बलप्रयोग, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन किया जाना निषिद्ध है। साथ ही इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति इन तरीकों से धर्म परिवर्तन करने का प्रयास नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति उकसाएगा या इसकी साजिश करेगा। प्रस्तावित कानून के मुताबिक धर्मांतरण की शिकायत धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों द्वारा की जा सकती है या उसके संबंधी व्यक्ति के द्वारा भी की जा सकती है।
सामान्य वर्ग के लोगों के धर्मांतरण के मामले में तीन साल से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है। जबकि नाबालिगों, महिलाओं, एससी और एसटी समुदायों के व्यक्तियों के धर्म परिवर्तन के मामले में तीन से दस साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।