गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की 3 साल पहले हुई लॉन्चिंग के बाद से लेकर अब तक इसमें सामानों के वर्गीकरण और उसके हिसाब से लगने वाले टैक्स को लेकर संशय की स्थित बनी रही है। मोदी सरकार दावे कर रही थी कि जीएसटी से हर जगह टैक्स समान होने के साथ लोगों को चीजों की खरीदारी में आसानी होगी, लेकिन अब तक टैक्स सिस्टम में कई चीजें साफ नहीं हैं। ताजा मामला खाने की ही दो चीजों का है। अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (AAR) की कर्नाटक बेंच ने कहा है कि रोटी और पराठा एक चीज नहीं हैं और इसीलिए पराठे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा, जबकि रोटी के लिए यह 5 फीसदी ही रहेगा।
दरअसल, AAR एक प्राइवेट फूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी व्हाइटफील्ड की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। रेडिमेड फूड आइटम्स के लिए लोकप्रिय यह कंपनी AAR के पास गेहूं के आटे से बने पराठे और मालाबार पराठों पर जीएसटी की दर तय करवाने के मकसद से गई थी। याचिका में कहा गया था कि पराठे भी प्लेन चपाती, खाखरा या रोटी के वर्ग में ही आते हैं। बता दें कि रोटी पर जीएसटी सिर्फ 5 फीसदी ही लगता है।
हालांकि, AAR ने इसे मानने से इनकार कर दिया। प्राइसवॉटर्स कूप इंडिया (PwC) में इनडायरेक्ट टैक्स के जानकार प्रतीक जैन ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि AAR ने यह मानने से इनकार कर दिया कि रोटी एक व्यापक शब्द है, जिसमें अलग-अलग तरह की भारतीय ब्रेड्स आ सकती हैं। AAR ने अपने आदेश में कहा, “रोटियां पहले से ही पकाया हुआ खाने का सामान होती हैं, जबकि पराठों को खाने से पहले गर्म करने की जरूरत होगी। इस लिहाज से पराठे रोटी के वर्ग में नहीं आते।”