दिल्ली पुलिस ने हाल ही में सिंघु बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन को कवर कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को अचानक ही गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने मनदीप को जमानत दे दी। अब जेल से बाहर आने के बाद मनदीप ने बताया कि उन्होंने तिहाड़ जेल में रहने के दौरान अपने पैरों पर नोट्स लिखे थे, ताकि बाहर आने के बाद वह अपनी रिपोर्ट्स दे सकें।
मनदीप ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि उन्होंने जेल में अपने साथ बंद किसानों से बातचीत के आधार पर जेल में ही पैरों पर कुछ नोट्स लिखे थे। मनदीप ने कहा कि मेरा काम ग्राउंड जीरो (जेल के अंदर) से रिपोर्ट लिखना है। मुझे जेल में बंद किसानों से बात करने का मौका मिला। मैंने उनसे पूछा कि उन्हें आखिर क्यों गिरफ्तार किया गया।”
बता दें कि पूनिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं–186 (सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा डालना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना) और 332 (सरकारी कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से रोकने के लिए उसे स्वैच्छिक रूप से चोट पहुंचाना)— के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एक स्वतंत्र पत्रकार की इस तरह गिरफ्तारी का सोशल मीडिया के साथ जमीनी स्तर पर भी भारी विरोध हुआ है। कई पत्रकारों ने दिल्ली पुलिस के मुख्यालय का भी घेराव कर पुनिया की तुरंत रिहाई की मांग की थी। यहां तक कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार पर दमनकारी नीति अपनाते हुए पत्रकार की गिरफ्तारी को गलत बताया था।
कोर्ट ने दी थी पुनिया को जमानत: दिल्ली की मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने पुनिया की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सिर्फ पुलिसकर्मी ही हैं ,‘‘इसलिए, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी/प्रार्थी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है।’’ न्यायाधीश ने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि कथित हाथापाई की घटना शाम करीब साढ़े छह बजे की है, जबकि, मौजूदा प्राथमिकी अगले दिन रात करीब एक बज कर 21 मिनट पर दर्ज की गई। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आरोपी फ्रीलांस पत्रकार है। आरोपी व्यक्ति जांच को प्रभावित नहीं करेगा और आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखे जाने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी।’’
उन्होंने कहा कि कानून का यह बखूबी स्थापित विधिक सिद्धांत है कि ‘जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, तथ्यों एवं परिस्थितियों पर, दोनों पक्षों की ओर से पेश गई दलीलों पर और न्यायिक हिरासत में आरोपी को रखने की अवधि पर संपूर्णता से विचार करते हुए वह 25,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके के साथ जमानत मंजूर करते हैं।’’ अदालत ने पूनिया पर उसकी (अदालत की) पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने सहित शर्तें भी लगाई। गौरतलब है कि पूनिया को गिरफ्तारी के बाद अदालत ने रविवार को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।