JNU राजद्रोह केस: कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा- अभी तक क्यों नहीं मिली मंजूरी?
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि फाइल फिलहाल मंत्री सत्येंद्र जैन के पास है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) राजद्रोह मामले को लेकर दिल्ली के एक कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से पूछा है कि अभी तक इस मामले पर पुलिस को मंजूरी क्यों नहीं दी गई? कोर्ट ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार को झाड़ते हुए कहा, “आप यूं फाइल पर नहीं बैठ सकते हैं। उसे जल्दी पेश कीजिए।” सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि फाइल फिलहाल कबीना मंत्री सत्येंद्र जैन के पास है।
दरअसल, ऐसे मसलों में किसी भी सूबे की पुलिस को वहां की सरकार की मंजूरी चाहिए होती है, जबकि अभी तक दिल्ली पुलिस ने इस आरोप के अंतर्गत मामला आगे बढ़ाने के अनुमति नहीं दी है।पटियाला हाउस कोर्ट ने इसी पर न केवल नाराजगी जाहिर की, बल्कि केजरीवाल सरकार से रुख साफ करने के लिए भी कहा।
कोर्ट ने आप सरकार से पुलिस को मंजूरी लेने के लिए 28 फरवरी तक की मोहलत दी है। यानी अगली सुनवाई उसी दिन होगी। ऐसे में कन्हैया के खिलाफ राजद्रोह का मामला चलाया जाएगा या फिर नहीं? यह उसी दिन तय हो सकता है।
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दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि फाइल गृह मंत्री के दफ्तर में है। सरकार उस पर कानूनी राय लेने के बाद ही आगे का निर्णय लेगी। वहीं, सरकार बोली कि उसके पास तीन माह का वक्त है। नतीजतन राजद्रोह मामले में पुलिस को अगर सरकार से मंजूरी न मिली, तब कन्हैया पर केस नहीं चलेगा। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इससे पहले, कोर्ट ने पुलिस को दिल्ली सरकार से मंजूरी के बगैर चार्जशीट पेश करने के लिए लताड़ लगाई थी। कोर्ट ने तब पुलिस को छह फरवरी तक सरकार से अनुमति लेने के लिए कहा था। जेएनयू राजद्रोह मामले में कन्हैया के अलावा उनके साथ उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य पूर्व अरेस्ट किए गए थे। फिलहाल वे जमानत पर हैं।
वहीं, आरोपपत्र में सात कश्मीरी छात्रों के नाम भी हैं, जिनमें- मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, आकिब हुसैन, रईस, बशारत, उमर गुल और खालिद बशीर हैं। इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था।