भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता और जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने फीस वृद्धि के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा संवैधानिक अधिकार है और एक विशेषाधिकार है। फीस वृद्धि को वापस लेने के लिए सोमवार (18 नवंबर) को छात्रों ने संसद भवन तक मार्च निकाला जिसे रोकने के लिए पुलिस ने कथित रुप से बल का प्रयोग किया। इस दौरान कई छात्र घायल हो गए और जेएनयू की छात्र संघ अध्यक्ष आइश घोष सहित लगभग 100 जेएनयू छात्रों को हिरासत में लिया गया।

‘शिक्षा के लिए सब्सिडी क्यों नहीं दी जा सकती’: एक टीवी डिबेट के दौरान कन्हैया कुमार ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि करदाताओं के पैसे पर 3 हजार करोड़ रुपये की मूर्ति का निर्माण किया जा सकता है तो “शिक्षा के लिए सब्सिडी क्यों नहीं दी जा सकती।” जेएनयू के छात्रों पर स्वतंत्र प्रभार के बारे में पूछे जाने पर कन्हैया कुमार ने कहा कि यह आरोप गरीब छात्रों के खिलाफ घृणा पैदा करने के समान है। जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा, “शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार है। यह कोई विशेषाधिकार नहीं है। मुफ्तखोर का आरोप लगाना गरीब छात्रों के खिलाफ सिर्फ नफरत दिखता है।”

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‘सांसदों के लिए सस्ती कैंटीन क्यों?’ : कन्हैया कुमार ने सवाल करते हुए कहा कि सांसदों के लिए संसद में कैंटीन अत्यधिक रियायती है, उनके सरकारी फ्लैटों के किराए में सब्सिडी दी जाती है, करदाताओं के पैसे से 3 हजार करोड़ रुपये की प्रतिमा का निर्माण किया गया। क्या यह करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग नहीं है?”

शोध के बिना देश का विकास नहीं हो सकता: जब पीएम मोदी कहते हैं कि वह भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देंगे, तो ऐसे देश में 5 हजार छात्रों को अच्छी शिक्षा क्यों नहीं मिल सकती है? और किसी भी छात्र को कुछ भी भिक्षा के रुप नहीं मिलता है। वह उनका अधिकार है। अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा है और यह हास्यास्पद है जब लोग कहते हैं कि अनुसंधान पर पैसा बर्बाद हो रहा है। किसी भी देश में विकास अच्छे शोध पर ही आधारित होता है। इसके बिना देश की विकास की कल्पना करना मुमकिन ही नहीं है।