पीएम मोदी ने सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक ज़ेवर एयरपोर्ट का आज शिलान्यास किया। निर्माण कार्य ख़त्म होने के बाद यह एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। इस एयरपोर्ट के पहले चरण का काम 2024 तक पूरा हो जाएगा। ज़ेवर एयरपोर्ट की दूरी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लगभग 72 किलोमीटर होगी। इसके साथ ही यह उत्तर प्रदेश को पांचवां इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। चुनाव के नजरिए से भी इसे अहम माना जा रहा है। एक दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जेवर एयरपोर्ट शुरू होने के बाद लगभग 1 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि लगभग चालीस हज़ार करोड़ का निवेश भी आएगा, जिसमें पहले चरण के लिए दस हज़ार करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी समेत समूची भाजपा की नीति रही है रेल, सड़क और वायु मार्ग को बेहतर करना। इससे विकास मार्गों को गति मिल सकेगी। इसी नीति का एक नायाब नमूना है ज़ेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास होना।
क्यों खास है यह एयरपोर्ट? ज़ेवर एयरपोर्ट के चर्चा में बने रहने की ख़ास वजह यह है कि इसके शिलान्यास के साथ ही उत्तर प्रदेश को पांचवा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट मिल जाएगा। इसके साथ ही ज़ेवर हवाई अड्डा एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विमानतल हो जाएगा। देश में इससे पहले केवल केरल और तमिलनाडु में ही चार-चार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट थे। ज़ेवर एयरपोर्ट के निर्माण के लिए वर्किंग एजेंसी के रूप में यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को नियुक्त किया गया है, और इसके समूचे निर्माण की ज़िम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ज़्यूरिख़ की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ज़ेवर विमानतल पर पांच रनवे होंगे। यह एयरपोर्ट 5845 हेक्टेयर में बनाया जा रहा है । इस एयरपोर्ट की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमानतल के ट्रैफ़िक को बहुत कम कर देगा। पश्चिमी यूपी के लोगों को होगी सुविधा ज़ेवर एयरपोर्ट के रूप में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को एक दूसरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी मिलेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलने वाला है। क्योंकि इससे पहले सबको तमाम ट्रैफ़िक का सामना करके दिल्ली के इंदिरा गांधी विमानतल ही आना पड़ता था जिससे अब निजात मिल जाएगी। इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ने के लिए मेट्रो एयरपोर्ट का सहारा लिया जाएगा और उधर लखनऊ से लेकर बुलंदशर तक यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ दिया जाएगा।