JDU नेता ने नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी: भाजपा- आरएसएस गठजोड़ के खिलाफ बोलते हैं तो दिल्ली चुनाव BJP के साथ कैसे लड़ रहे हैं
चिट्ठी में लिखा गया है कि आपने (नीतीश कुमार) महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के दौरान 'आरएसएस मुक्त भारत' की बात कही थी, लेकिन आपने अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए 2017 में फिर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया।'

जनता दल यूनाइटेड के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में दिल्ली में भाजपा के साथ जदयू के गठबंधन पर सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि जदयू नेता पवन के वर्मा ने यह चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में वर्मा ने लिखा है कि ‘वह पार्टी के पहली बार बिहार के बाहर भाजपा के साथ गठबंधन कर दिल्ली चुनाव लड़ने के फैसले से हैरान हैं। वर्मा ने नीतीश कुमार को लिखा कि आप कई बार भाजपा-आरएसएस के गठजोड़ पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।’
चिट्ठी में लिखा गया है कि आपने (नीतीश कुमार) महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के दौरान ‘आरएसएस मुक्त भारत’ की बात कही थी, लेकिन आपने अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए 2017 में फिर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। वर्मा ने लिखा कि यह समझने में असफल हूं कि जब देशभर में सीएए-एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो भाजपा के लंबे समय से सहयोगी रहे अकाली दल ने भी भाजपा के साथ दिल्ली चुनाव में उतरने से इंकार कर दिया है।
जदयू नेता ने चिट्ठी में लिखा कि जदयू में यह बात स्पष्ट करने की जरूरत है कि पार्टी का संविधान क्या कहता है, किसी नेता के निजी विचार क्या हैं? और पार्टी सार्वजनिक तौर पर क्या एक्शन ले रही है। वर्मा ने नीतीश कुमार से किसी औपचारिक पार्टी मीटिंग में ‘वैचारिक स्पष्टता’ करने की मांग की।
This is the letter I have written to @NitishKumar today asking him how the JD(U) has formed an alliance with the BJP for the Delhi elections, given his own views on the BJP, and the massive national outrage against the divisive CAA-NPR-NRC scheme. pic.twitter.com/ErSynnuiYm
— Pavan K. Varma (@PavanK_Varma) January 21, 2020
पवन के वर्मा ने चिट्ठी में नीतीश कुमार से साल 2012 में हुई पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि भारतीय विदेश सेवा औपचारिक रूप से छोड़ने से पहले आपसे मेरी बात हुई थी, जिसमें आपने मुझे बताया था कि क्यों नरेंद्र मोदी और उनकी पॉलिसीज देश विरोधी हैं। वर्मा ने लिखा कि ये आपका निजी विचार था कि भाजपा देश के संस्थानों को नष्ट कर रही है और देश में लोकतांत्रिक और सामाजिक ताकतों को इकट्ठा होने की जरूरत है।
बता दें कि जदयू नेता प्रशांत किशोर भी संशोधित नागरिकता कानून को लेकर काफी मुखर रहे हैं और खुलकर इसका विरोध कर चुके हैं। इतना ही नहीं प्रशांत किशोर ने तो बिहार में सीएए लागू नहीं करने की भी बात कही थी।
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