खुलासा: किसी नेता की आत्मकथा पढ़ने के लिए प्रेरित करने की वजह से PDP नेता पर लगा PSA, अमित शाह की भी की थी आलोचना
सितंबर 2016 में जब कर्फ्यू की वजह से घाटी में स्कूल लगभग तीन महीने तक बंद थे और अलगाववादियों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था। उस समय नईम अख्तर राज्य के शिक्षा मंत्री थे।

पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सहयोगी नईम अख्तर के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा था। इस मामले में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे की वजह हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी की आत्मकथा “शिक्षा के सपने को कभी न छोड़ने” को पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित करना और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भाषण की आलोचना थी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अख्तर के ऊपर पीएसए लगाने के कारणों में इसका जिक्र किया है।
सितंबर 2016 में जब कर्फ्यू की वजह से घाटी में स्कूल लगभग तीन महीने तक बंद थे और अलगाववादियों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था। उस समय नईम अख्तर राज्य के शिक्षा मंत्री थे। अख्तर ने शिक्षकों के कॉन्फ्रेंस में कहा था, “सभी को उनकी (गिलानी की) किताब (वुलर किन्नराय) पढ़नी चाहिए, जिसमें उन्होंने बचपन से ही अपने संघर्ष का जिक्र किया है। अपार कष्ट के बावजूद, उन्होंने अपने शिक्षा के सपने को कभी नहीं छोड़ा और उन्होंने अपने सबसे अच्छे दिन एक शिक्षक के रूप में बिताए। इसी तरह मीरवाइज (उमर फारूक) ने भी अपने व्यक्तिगत संघर्ष पर विजय पायी और अपनी पीएचडी पूरी की। उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा पर कभी विराम नहीं लगाया।”
नईम अख्तर के बयान को अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने पीएसए डोजियर में लिखा है। इसमें कहा गया है, “अख्तर का कट्टरपंथी तत्वों के प्रति झुकाव 27/09/2016 को दिए गए उनके बयान से पता किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने एक शिक्षा मंत्री के रूप में लोगों को गिलानी की किताब पढ़ने के लिए सलाह दी।”
पुलिस डोजियर में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ अख्तर के बयान को भी शामिल किया गया है। इसमें लिखा है, “09/01/2019 को उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पश्चिम बंगाल के भाषण को हिंदू राष्ट्र के लिए खुला आह्वान करार दिया था और कहा कि भगवा पार्टी प्रमुख ने भारत के विचार को चुनौती दी है। उन्होंने आगे कहा था कि भाजपा देश में चुनावी लाभ के लिए एक खतरनाक खेल कर रही है और चुनाव जीतने के लिए एक सांप्रदायिक घृणा कार्ड खेल रही है।”
पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक हिंदू, बौद्ध और सिख शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करेगा। शाह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अख्तर ने कहा था, “यह हिंदू राष्ट्र के लिए एक खुले आह्वान के अलावा और कुछ नहीं है। सीएबी अपने आप में एक हिंदू राष्ट्र की नींव रख रहा है। मुसलमानों और ईसाइयों को बाहर कर रहा है।”
अख्तर ने आगे कहा था, “अमित शाह ने जो कहा वह सांप्रदायिक जहर है और यह सही सोच वाले भारतीयों के लिए चुनौती का क्षण है, जो अभी भी भारत के विचार को मानते हैं। अमित शाह ने जो कहा है, वह भारत के संविधान के सार, अक्षर और भावना को नकारता है। दुर्भाग्य से भाजपा के पास है केवल एक ही लक्ष्य है, और वह है किसी भी कीमत पर चुनाव जीतना। जम्मू और कश्मीर की समस्याओं सहित देश के सामने आने वाले असली मुद्दे, बेरोजगारी, कृषि संकट के अलावा, ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं।”
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, टेलीग्राम पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App। Online game में रुचि है तो यहां क्लिक कर सकते हैं।