जम्मू-कश्मीर: डीजीपी बोले- अगर पांच को पकड़ते हैं तो अपने पास सिर्फ एक को रखते हैं; नजरबंदी के सवाल पर बोले- कुछ सौ लोगों को ही हिरासत में रखा
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के करीब एक महीने बाद इंडियन एक्सप्रेस प्रदेश के डीजीपी दिलबाल सिंह से कई मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि पकड़े जाने की तुलना में नजरबंदी की दर बहुत कम है। पढ़िए उनसे पूछे गए सवाल के जवाब-

करीब एक साल से जम्मू-कश्मीर के डीजीपी पद पर तैनात दिलबाग सिंह का कहना है कि श्रीनगर में नारेबाजी को हमेशा लोगों के गुस्से के रूप में नहीं देखा जा सकता। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के करीब एक महीने बाद इंडियन एक्सप्रेस उनसे कई मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि पकड़े जाने की तुलना में नजरबंदी की दर बहुत कम है। पढ़िए उनसे पूछे गए ऐसे कई सवालों के जवाब जिन्हें आप जरूर जानना चाहेंगे।
सवाल- राज्य को मिले विशेष प्रावधान और बंद को एक महीने से अधिक समय हो गया है। आप वर्तमान स्थिति को किस तरह आंकते हैं
जवाब- मैं बड़ी संतुष्टि के साथ कहता हूं कि अलग-अलग स्थानों पर कुछ छोटी घटनाओं को रोककर स्थिति बड़ी शांतिपूर्ण रही है। सबसे अधिक अस्थिर क्षेत्र सबसे अधिक शांतिपूर्ण हैं। पूरे दक्षिण कश्मीर में कम से कम कानून व्यवस्था बिगड़ने की घटनाएं हुई हैं। सबसे अधिक घटनाएं श्रीनगर में दर्ज की गईं। कल (शनिवार) मैंने श्रीनगर को डाउनटाऊन में दो घंटे बिताए। दो साल पहले, हमारे डिप्टी एसपी में से एक को इलाके में पीट-पीटकर मार दिया गया था। आज उस थाने में मुझे रिपोर्ट करने लायक भी एक घटना नहीं बताई गई। यह वास्तविक डाउनटाऊन है।
डीजीपी ने आगे कहा कि लोग घूम रहे थे। दुकानें बंद हैं और मुझे किसी को भी दुकानें खोलने के लिए मजबूर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, मैं दुकानें क्यों खुलवाऊं? यह उनका काम है, उनकी नौकरी है। बस एक चीज है कि हमें शाम को थोड़ा सावधान रहना होगा कि कोई फायदा ना उठाए। दूसरी बात…92 थाने के तहत आने वाले इलाकों से प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। अब सिर्फ 13 पुलिस स्टेशन बचे हैं जिनके तहत आने वाले क्षेत्रों में प्रतिबंध लागू हैं। जम्मू और लद्दाख में कहीं भी प्रतिबंध नहीं हैं। इसके अलावा लेह और कारगिल में इंटरनेट काम कर रहा है।
सवाल- क्या श्रीनगर में घटनाओं की बढ़ोतरी में एक नया विकास है? उस रोशनी में…परिमापोरा में एक दुकानदार की मौत खतरनाक थी
जवाब- कुछ घटनाओं में कोई हिंसा या एफआईआर नहीं होती है। मुझे यह रिकॉर्ड क्यों करना चाहिए और उस लड़के के करियर का क्यों खराब करना चाहिए? जब वो एक स्तर को पार कर जाते हैं, तो हिंसा होती है, पथराव होता है या कोई घायल होता है, एक रिपोर्ट होती है। यह हमेशा क्रोध की अभिव्यक्ति नहीं है। तुमने डाउनटाऊन देखा है…रूटीन में भी आदमी जाएगा तो पत्थर पड़ जाएगा।
हम कम्यूनिटी बॉन्ड का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। करीब 300 मामलों में हमने कम्यूनिटी बॉन्ड का इस्तेमाल किया और श्रीनगर में पत्थरबाजों को रिहा किया। अगर 10 लोग प्रति मामले में 10 लोगों की रिहाई चाहते हैं तो हम सफलतापूर्वक तीन हजार लोगों को अपने साथ जोड़ लेते हैं। उन्हें उसी दिन रिहा कर दिया जाता है।
सवाल- अगला चरण क्या होगा?
जवाब- अलगाववादियों ने लोगों पर व्यापार न करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की है। उन्होंने कुछ स्थानों पर पोस्टर चिपकाए हैं और लोग इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। तब उन्होंने (अलगाववादियों) पेट्रोल पंप डीलरों को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी वजह से नागरिक यातायात सामान्य हो रहा है। इसलिए वे चिंतित हैं कि कैसे दुनिया को बताएं कि कश्मीर एक ठहराव पर है। और अब तक लोगों ने इसका विरोध किया है।
सवाल- रिपोर्ट आईं हैं और दक्षिणी कश्मीर में अत्याचार के आरोप लगते हैं। क्या आपको इनकी जानकारी है?
जवाब- हम हर दिनों स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। एक मामला था जहां एक लड़के को गलती से एक सेना की टुकड़ी द्वारा सिर पर मारा गया था। हमने इसपर बहुत गंभीर संज्ञान लिया। वो एक घर को खोजने के लिए गए थे और उस दौरान यह हुआ। मगर यह पूरी तरह से एक अलग श्रेणी की घटना है। कुछ लोगों को उठाया गया और प्रताड़ित किया है। मैंने ऐसे आरोप लगाते हुए कुछ वीडियो भी देखे हैं। मगर मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वो लड़के अब कहां हैं?
उन्होंने कहा कि लोगों के साथ हमारा बेहतरीन तालमेल है। इसका मुझे बहुत गर्व है। हां, हम उग्रवाद पर सख्त हैं, लेकिन हम (उग्रवादियों) को वापस लाने और उन्हें उनके परिवारों को सौंपने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार ऐसा भी होता है जब हम उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं करते। पिछले छह से सात महीनों में हमने 16 लड़कों को उनके परिवार के पास वापस लौटाया है। एक लड़की घर से भाग गई और अलगाववादियों संग जा मिली। हम 48 घंटों के भीतर उसे वापस लाए और उसकी काउंसलिंग की।
सवाल- नजरबंदी गृह के बारे में क्या कहेंगे? अलग-अलग धाराओं में कितने लोगों को प्रदेश में हिरासत में रखा गया है?
जवाब- आकंड़े विशिष्ट नहीं है और यह हर दिन बदलते रहते हैं। सिर्फ एक बात यह कि हमारी हिरासत की दर पिक-अप (पकड़े जाने) दर की तुलना में बहुत कम है। अगर हम पांच लोगों को पकड़ते हैं तो हिरासत में एक ही को रखते हैं बाकियों को कम्यूनिटी बॉन्ड के तहत रिहा कर दिया गया। हमारे पास बस कुछ सौ लोग हिरासत में हैं। यह कोई बड़ी संख्या नहीं है।
डीजीपी ने बताया कि राजनेताओं को हाउस अरेस्ट रखा गया है। और ऐसे नेताओं की संख्या भी 35 से अधिक नहीं है। चिंता थी कि वो लोगों को उकसा सकते हैं। इसलिए प्रशासन ने निर्णय लिया कि ऐसे लोगों को नियंत्रित करना चाहिए। इसके अलावा यह उनकी सुरक्षा के लिए भी है।
सवाल- फिलहाल कितने अलगाववादी सक्रिय हैं?
जवाब- उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है मगर उनका आंदोलन उल्लेखनीय रहा है। ऐसे लोग दक्षिण कश्मीर में लगभग 150 है और कुल मिलाकर 250 हैं।
सवाल- हमने सुना है कि संचार ठप होने के चलते पुलिस को अपनी ही जानकारी इकट्ठा करने में दिक्कत हो रही है।
जवाब- पुलिस सूत्रों के हवाले से भी काम करती है। अगर सूत्रों के फोन काम नहीं कर रहे हैं तो हम उनसे बात कैसे करते हैं। कुछ हद तक, हां। सूचना थोड़ी देरी से है लेकिन यह हम तक पहुंच रही है।
सवाल- क्या 5 अगस्त के फैसले को किसी और तरीके से लागू किया जा सकता था?
जवाब- जवाब- यह शायद एकमात्र विकल्प था। यह (प्रतिबंध) बहुत कठोर लग रहा है लेकिन यह कानून और व्यवस्था के रखरखाव में बहुत उपयोगी है।
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