जम्मू-कश्मीर: कैंसर पेशेंट को PSA के तहत हिरासत में रखने पर हाईकोर्ट ने अफसरों को लताड़ा, कहा- तुरंत रिहा करो
अदालत ने यह फैसला परवेज के परिवार वालों की तरफ से दायर उस याचिका पर सुनाया है जिसमें खराब स्वास्थ्य के बावजूद पुलिस हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी गई थी।

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने दक्षिण कश्मीर के कैंसर रोगी के खिलाफ जन सुरक्षा कानून लगाए जाने के मामले में अफसरों को लताड़ लगाई है। अदालत ने इस मामले में आरोपी परवेज अहमद पाला को हिरासत से रिहा करने के लिए पुलिस को आदेश दिया है।
अदालत ने यह फैसला परवेज के परिवार वालों की तरफ से दायर उस याचिका पर सुनाया है जिसमें खराब स्वास्थ्य के बावजूद पुलिस हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी गई थी। जस्टिस अली मोहम्मद मारग्रे ने 3 दिसंबर को अपने आदेश में कहा, ‘हिरासत आदेश संख्या 37/डीएमके/पीएसए/19 तारीख 07.08.2019 को खारिज किया जाता है। इस मामले में हिरासत में रखे गए व्यक्ति को प्रिवेंटिव कस्टडी से रिहा करने के आदेश दिया जाता है।’
हाईकोर्ट ने इस साल अक्टूबर में जम्मू और कश्मीर गृह विभाग के आयुक्त सचिव को परवेज अहमद पाला के मेडिकल जांच के आदेश दिए थे। पाला को यूपी की जेल में रखा गया था। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार परवेज बीमार था और उसे नियमित रूप से दवा दिए जाने के साथ ही बीमारी को नियंत्रण में रखने के लिए मेडिकली जांच की जरूरत थी।
जम्मू और कश्मीर की पुलिस ने अपने दस्तावेज में परवेज अहमद पाला को आम जनता की सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। अपने आदेश में कोर्ट ने इस बात का उल्लेख किया, ‘नजरबंदी को…खारिज किया जाता है, हिरासत में रखे गए व्यक्ति को अपना पक्ष प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण ढंग से रखने से रोका गया…ऐसी स्थिति में नजरबंदी के आदेश को रद्द किया जा सकता है।’
मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद ही 33 वर्षीय परेवज अहमद को ऐहतियातन पुलिस ने हिरासत में लिया था। परवेज कश्मीर के कुलगाम जिले का रहने वाला है। परवेज के दो बच्चे हैं जिनमें एक 8 साल और दूसरा 10 साल का है। साल 2014 में परवेज को थायरॉइड कैंसर होने का पता चला था। इसके बाद उसकी सर्जरी भी हुई थी। परवेज के परिवार वालों का कहना है कि उसे त्वचा संबंधी बीमारी भी है। इसके अलावा उसका एक हाथ लकवाग्रस्त है।