पूर्व सांसद उमाकांत यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये कहकर जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है कि वो बाहुबली है। हाईकोर्ट ने कहा कि ये सरकार और न्यायपालिका के लिए भी शर्मनाक बात है कि ऐसा शख्स हर बार जेल से बाहर निकलने में कामयाब हो जाता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने उमाकांत यादव को सिरे से बेल देने से इनकार करते हुए कहा कि 1974 में उसने पहली वारदात की थी। उसके ऊपर 15 हत्याओं का आरोप है। 80 आपराधिक केस उसके खिलाफ दर्ज हैं। लेकिन कितनी शर्मनाक स्थिति है कि वो केवल 2 मामलों में दोषी करार दिया जा सका है। वो भी 2022 में। इतने लंबे समय में उसके खिलाफ आरोप साबित कर पाने में भी हम नाकाम रहे हैं।
कोर्ट का कहना था कि 48 साल से वो बदस्तूर अपना साम्राज्य चला रहा है। वो माफिया है। तमाम जरायम करता है। कोर्ट ने उसे बाहुबली भी करार दिया। अदालत के तेवर इतने ज्यादा तल्ख थे कि जज ने यहां तक कहा कि उमाकांत यादव समाज के लिए धब्बा है। उसकी सही जगह जेल के भीतर ही है। ऐसे लोगों का जेल से बाहर रहना कानून के राज पर एक बड़ा सवालिया निशान है। हम इस बार उसे यूं ही बाहर नहीं जाने दे सकते। वो जेल में ही रहेगा।
आजमगढ़ के गांधी आश्रम पर कब्जा कर रंग दिया गुलाबी रंग
उमकांत यादव ने आजमगढ़ के गांधी आश्रम मामले में हाईकोर्ट से जमानत मांगी थी। उसके ऊपर आरोप है कि उसने आश्रम पर अवैध तरीके से कब्जा किया। उसने आश्रम में जबरन घुसकर सरकारी संपत्ति को चोरी किया। इसके बाद सारे भवन को गुलाबी रंग से रंगवा दिया। इसके बाद उसने और उसके बेटे ने वहां कब्जा कर लिया।
पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की तमाम धाराओं के तहत केस दर्ज करके गिरफ्तार किया था। उसके बाद ही उसने बेल के लिए आवेदन किया। लोअर कोर्ट ने उसे बेल देने से इनकार कर दिया तो वो अपनी अर्जी लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट तक जा पहुंचा। हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह सुनवाई करते हुए उमाकांत यादव को जमानत देने से इनकार कर दिया।
मायावती ने अपने घर से उमाकांत को कराया था अरेस्ट
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति में मछलीशहर से बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव बहुचर्चित नेता हैं। बसपा से मछलीशहर से एक बार सांसद बने उमाकांत यादव की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है। वे खुटहन से लगातार तीन बार विधायक रहे। उमाकांत 1991 में पहली बार बसपा से खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से विधायक बने थे। इसके बाद 1993 में वे सपा-बसपा गठबंधन से दूसरी बार इसी सीट से विधायक चुने गए थे। उमाकांत पहली बार BSP से विधायक बने थे। मायावती ने अपने घर से उन्हें गिरफ्तार कराया था।