स्पीकर के कहने पर भेजा था अर्नब गोस्वामी को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट में बोले महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव
खंडपीठ ने पूछा, “क्या देश का कोई भी अफसर इस अदालत के पास किसी को जाने के लिए दंडित कर सकता है? अधिकारी ने अपने पत्र में ऐसा कुछ लिखने की हिम्मत कैसे की?"

विशेषाधिकार कार्यवाही के उल्लंघन पर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ को नोटिस भेजने पर अवमानना कार्यवाही का सामना कर रहे महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि स्पीकर के कहने पर उन्होंने ऐसा किया था।
महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि अर्नब को पत्र जारी करने में न्याय प्रशासन को बाधित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था। लिहाजा कोई अवमानना का मामला नहीं बनता है।
दूसरी तरफ अर्नब गोस्वामी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उच्चतम न्यायालय से स्पीकर को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। दुष्यंत दवे ने साल्वे के अनुरोध का विरोध किया। हालांकि एमिकस क्यूरी अरविंद दातार ने स्पीकर को नोटिस जारी करने का समर्थन किया और कहा कि विधानसभा के सहायक सचिव स्पीकर के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन पर रिपब्लिक टीवी के एडीटर इन चीफ के खिलाफ विशेषाधिकार कार्यवाही के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट जाने पर धमकाने का आरोप है।
खंडपीठ ने पूछा, “क्या देश का कोई भी अफसर इस अदालत के पास किसी को जाने के लिए दंडित कर सकता है? अधिकारी ने अपने पत्र में ऐसा कुछ लिखने की हिम्मत कैसे की?” मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इस पर हमारा गंभीर सवाल है और हमें इसे नजरअंदाज करना बेहद मुश्किल है।”
बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है, और मामले को दो सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी को मुख्य न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारी के आचरण को देखने के लिए कहा है।
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