इस्लामाबाद की एक अदालत ने तोशाखाना मामले में इमरान के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया, जिसके बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर तक पहुंच गई। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक इंसाफ पार्टी या पीटीआइ समर्थकों की भारी भीड़ जुट जाने के कारण वे गिरफ्तारी से बच निकले। पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा। पाकिस्तानी पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीटीआइ प्रमुख इमरान खान को गैर-फंडिंग और आतंक से जुड़े दो अन्य मामलों में तो जमानत मिल गई, लेकिन तोशाखाना मामले में शिकंजा और कस गया है।
तोशाखाना का शाब्दिक मतलब होता है खजाने का घर। पाकिस्तान में तोशाखाना एक सरकारी विभाग है, जो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को दिए गए उपहारों को संभालकर रखता है। इस विभाग का गठन 1974 में किया गया था। इस विभाग में हमेशा महंगे उपहारों को रखा जाता है। अगर किसी उपहार की कीमत 30,000 रुपए से कम है तो उसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपने पास रख सकते हैं।
इमरान खान ने वर्ष 2018 में सत्ता में आने के बाद यहां के उपहारों के मूल्य को 50 फीसद तक बढ़ा दिया था। इमरान खान को अरब देशों की यात्राओं के दौरान वहां के शासकों से महंगे उपहार मिले थे। पाकिस्तान में नियमों के अनुसार, किसी दूसरे देश के प्रमुखों या गणमान्य लोगों से मिले हुए उपहारों को तोशाखाना में रखा जाना जरूरी है।
अगर कोई नेता यहां से उपहार लेता या खरीदता है तो उसके बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी होती है। अगर राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसके लिए उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। कहानी इमरान के प्रधानमंत्री रहते हुए शुरू हुई थी।
2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान करीब 14 करोड़ रुपए के 58 उपहार मिले थे। इन महंगे उपहारों को तोशखाना में जमा किया गया था। बाद में इमरान खान ने इन्हें तोशाखाना से सस्ते दाम पर खरीद लिया और फिर महंगे दाम पर बाजार में बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उन्होंने सरकारी कानून में बदलाव भी किए।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इमरान ने 2.15 करोड़ रुपए में इन उपहारों को तोशाखाना से खरीदा था और इन्हें बेचकर 5.8 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा लिया। पाकिस्तानी अखबार डान के मुताबिक, अगस्त 2022 में इमरान की मुसीबतें तब बढ़ीं, जब पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने चुनाव आयोग के पास एक याचिका दायर कर कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के अध्यक्ष ने अपनी संपत्ति की घोषणा में तोशाखाना से प्राप्त उपहारों के बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया।
अक्तूबर 2022 में, पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) की पांच सदस्यीय पीठ द्वारा तोशाखाना मामले में इमरान को पांच साल के लिए सार्वजनिक कार्यालय संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह भी घोषणा की कि खान के खिलाफ भ्रष्टाचार कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे मामले में इमरान ने सुनवाई के दौरान ईसीपी को सूचित किया कि 21.56 मिलियन रुपए का भुगतान करने के बाद राज्य के खजाने से खरीदे गए उपहारों की बिक्री से लगभग 58 मिलियन रुपए प्राप्त हुए थे।
अन्य उपहारों में, एक ग्रेफ कलाई घड़ी, कफलिंक की एक जोड़ी, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियां शामिल थीं। इमरान ने दावा किया कि वे उनके उपहार थे, इसलिए उन्हें रखना या न रखना उनकी पसंद थी।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, अगस्त में इमरान खान को सत्ता से हटाए जाने के कुछ महीनों बाद, सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सांसदों ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने सामने एक आरोप पत्र दायर किया था। पाकिस्तान के स्पीकर ने इस मामले में जांच करवाई। आरोप साबित होने पर पिछले साल इमरान खान की संसद सदस्यता चली गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान खान ने जानबूझकर चुनाव अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन किया था और गलत बयान दिया था। साल 2020-21 के लिए उन्होंने अपनी संपत्तियों के बारे में भी गलत जानकारी दी थी।
अयोग्य करार
इमरान खान को चुनाव अधिनियम की धाराओं के साथ, संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) में कहा गया है कि एक व्यक्ति कुछ समय के लिए, किसी भी कानून के तहत मजलिस-ए-शूरा या प्रांतीय विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने या चुने जाने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है।