Ishrat Jahan encounter, CBI court, gujrat police: इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने मंगलवार को सीबीआई अदालत को एक चिट्ठी लिखी है। शमीमा कौसर ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वे इंसाफ की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अब असहाय और निराश महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा ‘मैं पूरी तरह से टूट चुकी हूं। मैंने लड़ने की इच्छा खो दी है इसलिए अब मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो पाऊंगी।’ गौरतलब है कि 2004 में गुजरात पुलिस द्वारा एक कथित फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां को मार दिया गया था।
शमीमा के वकील शमशाद पठान ने कहा कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश आर के चुडावाला की अदालत ने पत्र को स्वीकार कर लिया है। सीबीआई अदालत इस मामले में चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा दायर किए गए डिस्चार्ज आवेदनों की सुनवाई कर रही है। जिसमें इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस जीएल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुन बरोत, पूर्व डिप्टी एसपी जेजी परमाप और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर अंजू चौधरी हैं।
इशरत और तीन अन्य आरोपी जावेद शेख, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को 2004 में क्राइम ब्रांच की अहमदाबाद सिटी डिटेक्शन ने एक मुठभेड़ में मार दिया था। मारे गए चारों शख्स पर आरोप था कि वे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने के उद्देश्य से लश्कर-ए-तैयबा के सरगना थे। शमीमा अदालत में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों डी जी वंजारा और एन के अमीन द्वारा दायर की गई डिस्चार्ज याचिका को चुनौती दे रहीं हैं। हालांकि, मई में सीबीआई अदालत ने दोनों के खिलाफ सभी आरोपों को हटा दिया था।
इशरत जहां की मां ने सीबीआई अदालत को दिये गए पत्र में लिखा “न्याय की इतनी लंबी लड़ाई के बाद मैं आशाहीन और बेबस महसूस करती हूं। मैंने अपनी वकील वृंदा ग्रोवर को निर्देश दिया है कि वर्तमान में मैं लड़ने के लिए अपनी इच्छा खो चुका हूं, और अब सीबीआई अदालत के समक्ष कार्यवाही में भाग नहीं ले सकती। 11 आरोपी पुलिस अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना और पूर्ण न्याय को सुरक्षित करना और मेरी बेटी की हत्या की सच्चाई को उजागर करना सीबीआई का काम है।”
उन्होंने कहा “15 साल से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। गुजरात सरकार ने ऑन रेकॉर्ड मेरी बेटी के हत्यारों का समर्थन किया है। मुझे पता है कि आपराधिक साजिश के परिणामस्वरूप मेरी बेटी की हत्या की गई थी। मुझे पता है कि मेरी बेटी न्याय की हकदार है, और यह कि इस असुरक्षा की संस्कृति को मिटाने की जरूरत है। यह मेरी लड़ाई अकेले नहीं हो सकती। अब सीबीआई को यह देखना है कि दोषियों पर मुकदमा चलाया जाए और उन्हें सजा दी जाए।”