ईरान-अमेरिका के बीच युद्ध संकट ने बढ़ाई भारत की चिंता, वित्त मंत्रालय और पेट्रोलियम मिनिस्ट्री की आपात बैठक, खाड़ी देशों के बाहर तलाशे जा रहे विकल्प
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय ने शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव और उसके प्रभाव को लेकर चर्चा हुई।

अमेरिकी हमले में ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत से अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की आशंका पैदा हो गई है। इस परिस्थिति में भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय ने शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव और उसके प्रभाव को लेकर चर्चा हुई।
पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भी एक आंतरिक बैठक हुई। इसके बाद मंत्रालय के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में भारत में तेल की सप्लाई बाधित होने और भारत के कर्ज की स्थिति पर प्रभाव पड़ने को लेकर बात हुई। अधिकारियों को इस स्थिति से निपटने को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए।
बता दें कि इराक, सऊदी अरब, ईरान और यूएई, भारत को तेल निर्यात करते हैं। अब यदि अमेरिका और ईरान के बीच किसी तरह का तनाव बढ़ता है और बात युद्ध तक पहुंचती है तो भौगोलिक कारणों से भारत को तेल निर्यात करने वाले सभी देशों पर इसका असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि इससे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हो सकता है। इससे भारत की ग्रोथ पर्सेंटेज में भी 0.2-0.3 प्रतिशत का निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है। गौरतलब है कि पहले से ही भारत का मौजूदा कोषीय घाटा 9-10 बिलियन डॉलर है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, “भारतीय रिफाइनरी तकनीकी और व्यापारिक पहलू और घरेलू जरूरत का ध्यान रखते हुए अलग-अलग देशों से तेल का आयात करती हैं। OPEC देशों से बीते सालों में तेल के आयात में कमी की गई है। वित्तीय वर्ष 2017 में जहां ओपेक देशों से 85.4 प्रतिशत तेल का आयात हुआ था, वहीं वित्तीय वर्ष 2020 के अप्रैल-सितंबर में यह आयात 75.4 प्रतिशत रहा।”
अधिकारियों के अनुसार, भारतीय रिफाइनरीज खाड़ी के देशों की बजाय अन्य देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और रूस से तेल का आयात करने की दिशा में विचार कर रही हैं। फरवरी, 2018 में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इशारा किया था कि भारत 60 डॉलर प्रति बैरल तक तेल की कीमतों के साथ एडजस्ट कर सकता है, लेकिन यदि ये कीमतें इससे ज्यादा होती हैं तो इससे भारत की सरकार के लिए झटका माना जाएगा।
बता दें कि ईरान और अमेरिका के बीच बीते काफी समय से तनाव चल रहा है। लेकिन बीते कुछ दिनों में यह तनाव चरम पर पहुंच गया है। शुक्रवार को अमेरिका ने एक हमले में ईरान के टॉप मिलिट्र कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ गई है। यही वजह है कि दुनियाभर में तेल की बढ़ी कीमतों का डर पैदा हो गया है।