जब लालकिले से इंदिरा गांधी ने किया था आंदोलन का जिक्र, बोलीं- कितना भी रोको हिंसा हो ही जाती है, विकास वाले आंदोलन ही रोक देते हैं विकास
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लालकिले से दिए भाषण में कहा था कि कई बार विकास के लिए होने वाला आंदोलन ही विकास के मार्ग में बाधक हो जाता है और ज्यादातर आंदोलन हिंसक हो जाते हैं।

किसान आंदोलन को खत्म करवाने के लिए सरकार कई बार प्रयास कर चुकी है और हर मुद्दे पर बात करने को तैयार भी है लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सकता है। किसान अपनी मांग पर अड़े हैं कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे, आंदोलन भी खत्म नहीं होगा। आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री ने संसद भवन में ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए निशाना साधा तो कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार आंदोलन का भी दमन करना चाहती है। हालांकि एक बार आंदोलन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी लालकिले से अपने विचार व्यक्त किए थे और कहा था कि कोई भी आंदोलन हिंसक हो ही जाता है और विकास के लिए हो रहा आंदोलन ही विकास में बाधा बन जाता है। यह भाषण 1983 का है। 1984 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में सरकार के काम गिनाए और इसके बाद आंदोलन का भी जिक्र किया। उस समय असम में भी आंदोलन चल रहा था। उन्होंने कहा, ‘हम देखते हैं कि देश के अनेक भाग में आंदोलन हो रहे हैं। लोकतंत्र में स्वाभाविक है कि लोगों की मांगें हों। हम हमेशा लोगों से बात करने केलिए तैयार हैं और मांग पूरी करने को तैयार हैं। लेकिन यह देखना है कि किसी की मांग पूरी करने की दूसरे का नुकसान न हो। अगर सब पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो सकते तो कम से कम असंतोष को कम कर सकते हैं।’
इंदिरा गांधी की आगे की बात आज के समय में बहुत ही प्रासंगिक नजर आती है। किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हिंसा हो गई थी। इंदिरा गांधी ने कहा था, ‘आंदोलन के नेता चाहें या न चाहें, आखिरकार हिंसा हो ही जाती है। यह कौन करता है, हमको नहीं मालूम। जब पता चलता है तो उन लोगों को सजा भी मिलती है। उन लोगों को भी कभी-कभी नहीं पता चलता है। लेकिन इससे देश को नुकसान होता है। जो विकास के नाम पर आंदोलन चलते हैं, वही विकास को रोक देते हैं।’
इसके बाद इंदिरा गांधी ने असम की समस्या पर बात की और कहा, ‘एक अजब प्रचार हो रहा है। कुछ लोग नाजायज तरीके से असम में आए हैं। हमारी कोशिश है कि उनको रोकें। यह बात आज की नहीं है। लोगों ने कहा या तो पूरी बात मानें या फिर जो कुछ आप करना चाहते हैं, वह हम नहीं करने देंगे। जो काम हो सकता था वह रुक गया। अब वह काम शुरू होगा जो हमने पहले कहा था। अजब कहानी और भी है कि वहां जो हमला हुआ और बहुत सारे लोगों की जानें गईं, मुसलमान भाई बहनों की जान गई और हिंदुओं को भी नुकसान हुआ। कहा जा रहा है कि उसमें हमारा हाथ था लेकिन आप वहां जाकर पूछिए तो लोग बताएंगे कि इसमें किसका हाथ था।’ इंदिरा गांधी ने अपने इस भाषण में पंजाब की समस्या का जिक्र किया था और कहा था कि हमारी कोशिश है कि हर क्षेत्र को न्याय मिले।