सीमा पर तनाव के बीच चीनी कंपनी के कार्यक्रम में शामिल हुए CDS चीफ बिपिन रावत
भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख से सेनाओं को हटाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसी बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत के एक चीनी कंपनी के कार्यक्रम में शामिल होने से विवाद खड़ा हो गया है।

भारत और चीन के बीच सीमा पर कई महीनों से गतिरोध जारी है। दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख से सेनाओं को हटाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसके चलते देश में लोग चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं। इसी बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत के एक चीनी कंपनी के कार्यक्रम में शामिल होने से विवाद खड़ा हो गया है।
जनरल बिपिन रावत चीनी कंपनी एमजी मोटर के एक इवेंट में शामिल हुए थे। ‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को एमजी मोटर के इवेंट में रावत के अलावा बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी पहुंचे थे। यह इवैंट इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्र सरकार के प्रमोटेड प्रोग्राम का हिस्सा था। एमजी मोटर ने इवेंट के फोटो ट्वीट किए हैं, जिसमें मीनाक्षी लेखी और फुल यूनीफॉर्म में रावत दिख रहे हैं।
एमजी मोटर SAIC मोटर ब्रिटेन की एक सब्सिडियरी है, जिसका स्वामित्व चीनी ऑटोमोटिव डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी SAIC मोटर के पास है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम को लेकर रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने व्यक्तिगत तौर पर हैरानगी जताई है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह चौंकाने वाला है। इवेंट में यूनीफॉर्म पहने सीडीएस की मौजूदगी पूरी तरह अनुचित है।
इस मामले पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सवाल किया कि चीन के साथ सीमा पर गतिरोध के बीच सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने चीनी स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा प्रोड्यूस की गई कार के ट्रायल रन को झंडी क्यों दिखाई। उन्होंने कहा कि क्या रावत को इस बारे में पता नहीं था।
बता दें भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख से सेनाओं को हटाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि आपसी सहमति से पीछे हटने की शर्तों और कदमों पर सहमति न बन पाने से वार्ता लगभग थम सी गई है। चीन ने अभी तक नवें दौर की सैन्य वार्ता के लिए कोई तय तारीख़ भी नहीं बताई है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन अब भी इसी बात पर अड़ा हुआ है कि सेना को पीछे हटाने के प्रस्ताव को पैंगोंग सो झील और चुशुल इलाके के दक्षिणी किनारे से लागू किया जाए, जहाँ पर भारतीय सैनिक 29 अगस्त से ही रणनीतिक रूप से चीन पर बढ़त बनाए हुए हैं।
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