अमेरिका के यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भारत में लोकसभा में पास किये गये नागरिकता संशोधन बिल पर एतराज जताया है। इस कमीशन ने यहां तक कह दिया है कि अगर यह बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो जाता है तो अमित शाह समेत अन्य बड़े नेताओं पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। लेकिन अब भारत ने इस कमीशन के इतिहास पर ही सवाल उठा दिया है। भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि यूएस सरकार के कमीशन ने जो बयान दिया है वो निंदनीय है।
भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि ‘नागरिकता संशोधन बिल को लेकर कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने जो रवैया अपनाया है वो उसके इतिहास को देखते हुए चौंकाने वाला तो बिल्कुल नहीं है। हां, यह निंदनीय जरूर है क्योंकि कमीशन को इस बिल की बहुत कम जानकारी है और थोड़ी जानकारी के आधार पर ही उन्होंने अपना फैसला एकतरफा होकर किया है।’
भारत सरकार ने कहा है कि कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने नागरिकता संशोधन बिल पर जो बयान जारी किया है वो ना तो पूर्ण है और ना ही सही। यह बिल दूसरे देशों में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित है।
भारत सरकार ने साफ किया है कि ‘नागरिकता संशोधन बिल और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स दोनों में से किसी के भी जरिए भारत में रहने वाले किसी भी धर्म के मानने वाले लोगों की नागरिकता नहीं छिनी जाएगी। इसके बुरे परिणाम के संबंध में दिए जा रहे तर्क भरमाने वाले और अन्यायपूर्ण हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स समेत प्रत्येक राष्ट्र को यह हक है कि वो अपने देश की नागरिकता संबंधी नीतियों की समीक्षा कर सकता है। नागरिकता संशोधन बिल को खतरनाक बताना एक गलत दिशा में उठाया गया कदम है।’
आपको बता दें कि USCIRF ने नागरिकता संशोधन बिल को गलत दिशा में उठाया गया कदम बताया है। USCIRF ने कहा है कि इससे भारतीय संविधान के समृद्ध इतिहास और धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचेगा…जिसमें समानता का उल्लेख किया गया है।
USCIRF एक स्वतंत्र कमीशन है जिसका गठन यूएस कांग्रेस ने किया था। यह विभिन्न देशों में अलग-अलग धर्मों के लोगों को धार्मिक तौर पर मिली आजादी की समीक्षा करता है।
यहां आपको यह भी बता दें कि यह वहीं कमीशन है जिसने साल 2008 में स्टेट डिमार्टमेंट से कहा था कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टूरिस्ट वीजा ना देने के फैसले पर फिर से विचार करे। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और न्यूजर्सी में उन्हें एक कॉन्फ्रेंस के लिए निमंत्रित किया गया था।
