भारत और रूस की सैटेलाइट्स टकराने से बाल-बाल बचीं, विदेशी Kanopus-V के बेहद नजदीक चला गया था ISRO का Cartosat-2F, जानें कैसे
इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष में ऐसी घटनाएं होती रही हैं और अभी हजारों सैटेलाइट स्पेस में ही तबाह होने के बाद घूम रही हैं।

अंतरिक्ष में हाल ही में एक बड़ा हादसा टल गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत और रूस की सैटेलाइट पृथ्वी के चक्कर लगाते समय इतना करीब आ गई थीं कि दोनों टकरा कर तबाह हो सकती थीं। हालांकि, किस्मत से दोनों उपग्रह करीब से निकल गए। इस घटना की पुष्टि रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकासमॉस (ROSCOSMOS) ने भी की है
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के मुताबिक, भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-2एफ और रूस की कैनोपस सैटेलाइट के बीच महज 420 मीटर की दूरी रह गई थी। हालांकि, रॉसकासमॉस का कहना है कि गणना के अनुसार दोनों सैटेलाइट 224 मीटर ही दूर थीं। बताया गया है कि कैनोपस भी रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट ही है।
इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा, “हम सैटेलाइट को पिछले चार दिन से ट्रैक कर रहे थे और यह रूसी सैटेलाइट से 420 मीटर की दूरी तक पहुंच गई थी। अगर यह 150 मीटर तक करीब आ जाती तो सैटेलाइट को बचाने की कोशिश में तरकीब लगाई जाती।” इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष में ऐसी घटनाएं होती रही हैं और अभी हजारों सैटेलाइट स्पेस में ही तबाह होने के बाद घूम रही हैं। इन्हें तबाह होने से बचाने के लिए आमतौर पर अंतरिक्ष एजेंसियां संपर्क में रहती हैं।
क्या है रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट का काम?: के सिवन ने बताया कि ऐसी एक घटना हाल ही में स्पेन की सैटेलाइट के साथ भी हुई थी। बता दें कि अंतरिक्ष में मौजूद कार्टोसैट-2एफ और कैनोपस-पांच उपग्रहों के जरिये पृथ्वी के वायुमंडल और मौसम पर करीबी नजर रखी जाती है, ताकि किसी भी बड़ी आपदा आने से पहले ही उसकी जानकारी जुटाई जा सके।
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