संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 में दुनिया की 1.7 से 2.40 अरब शहरी आबादी जल संकट से जूझ सकती है, जिसका असर सबसे ज्यादा भारत भारतवासियों पर पड़ने की आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में 93.3 करोड़ शहरी आबादी जल संकट से जूझ रही थी।
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन-2023 से पहले मंगलवार (21 मार्च, 2023) को ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2023: जल के लिए साझेदारी और सहयोग’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया में करीब 80 प्रतिशत आबादी जल संकट से जूझ रही है, खासतौर पर पूर्वोत्तर चीन, भारत और पाकिस्तान में।
रिपोर्ट में आंकड़ों के हवाले से कहा गया, “जल संकट से जूझने वाली वैश्विक शहरी आबादी 2016 के 93.3 करोड़ से बढ़कर 2050 में 1.7 से 2.4 अरब होने की आशंका है और अनुमान है कि भारत सबसे अधिक प्रभावित देश होगा।”
यूनेस्को की महानिदेशक आंड्रे एजोले ने कहा, “वैश्विक संकट के नियंत्रण से बाहर जाने से पहले मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तत्काल स्थापित करने की जरूरत है।” रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर दो अरब लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है और 3.6 अरब आबादी के पास सुरक्षित स्वच्छता व्यवस्था नहीं हैं। रिपोर्ट के प्रधान संपादक रिचर्ड कॉनर ने संवाददाताओं से कहा कि अनिश्चितता बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, “अगर आपने समाधान नहीं किया तो निश्चित तौर पर वैश्विक संकट होगा।” संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने रिपोर्ट में कहा कि जल मानवता के लिए रक्त की तरह है। यह लोगों और धरती के जीवन और स्वास्थ्य, विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक है।” गुटेरस ने चिंता जताई कि मानवता खतरनाक रास्ते पर चल रही है, जिसमें आसुरी प्रवृत्ति के तहत अत्याधिक उपभोग और अति विकास, जल का अवहनीय इस्तेमाल, प्रदूषण और अनियंत्रित ग्लोबल वार्मिंग मानवता के रक्त को बूंद-बूंद कर सूखा रहे हैं।