India China Clash: भारत और चीन मुद्दे को लेकर एक बार फिर सोमवार (30 जनवरी, 2023) को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सवाल खड़े किए हैं। जयराम रमेश ने चीन के साथ टकराव में केंद्र की मोदी सरकार के रवैये को DDLJ से परिभाषित किया है। इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर पर भी सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव संचार जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सोमवार (30 जनवरी, 2023) को एक पत्र जारी किया है। अपने पत्र में उन्होंने लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की रणनीति को लेकर जमकर निशाना साधा है। रमेश ने लिखा, मई, 2020 से लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए मोदी सरकार की पसंदीदा रणनीति का सार चार शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है- इनकार करो, ध्यान भटकाओ, झूठ बोलो और न्योयोचित ठहराव (DDLJ- Deny, Distract, Lie, Justify)।
जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की कांग्रेस पार्टी पर की गईं हालिया टिप्पणी मोदी सरकार की विफल चीन नीति से ध्यान भटकाने की कोशिश है। रमेश ने कहा कि मई 2020 के बाद से लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट तक अपनी पहुंच खोना सरकार की विफल चीन नीति का खुलासा है।
1962 और 2020 की परिस्थितियों की तुलना नहीं की जा सकती: जयराम रमेश
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि 1962 और 2020 की परिस्थितियों की कोई तुलना नहीं की जा सकती। 1962 में भारत अपने भूभाग की रक्षा के लिए चीन के साथ युद्ध में उतरा था, जबकि 2020 के बाद भारत ने चीनी आक्रामकता को शुरुआती ना-नुकुर के बाद स्वीकार किया। जिसके बाद सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया में भारत हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपनी पहुंच खो चुका है।
साल 2017 में चीनी राजदूत से मिलने के लिए राहुल गांधी पर एस जयशंकर की टिप्पणी को जयराम रमेश ने घटिया करार दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह टिप्पणी एक ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई, जिसने ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका में भारत का राजदूत रहते हुए संभवत: रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। जयराम रमेश ने पूछा कि क्या विपक्ष के नेताओं को व्यापार, निवेश और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों से मिलने का अधिकार नहीं है।
बता दें, शनिवार को विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि कुछ लोगों ने 1962 में चीन द्वारा ली गई कुछ जमीनों के बारे में बात करके चीन मुद्दे के बारे में जानबूझकर गलत खबरें फैलाईं और यह आभास कराया कि ये हाल ही में हुआ है।