भारतीय जीडीपी पर बयान देकर सुर्खियों में आयी गीता गोपीनाथ लिख चुकी हैं 40 रिसर्च पेपर, हैं IMF की पहली भारतीय महिला चीफ इकोनॉमिस्ट
International Monetary Fund chief economist Gita Gopinath: गीता गोपीनाथ एक्सचेंज रेट, व्यापार और निवेश, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट, संकट, मौद्रिक नीति, कर्ज और उभरते बाजार संकटों पर करीब 40 रिसर्च पेपर लिख चुकी हैं।

International Monetary Fund chief economist Gita Gopinath: आईएमएफ के ताजा अनुमान के अनुसार 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत, 2020 में 3.3 प्रतिशत और 2021 में 3.4 प्रतिशत रहेगी। मुद्राकोष ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम करके 2019 के लिये 4.8 प्रतिशत कर दिया है। उसने 2020 और 2021 में इसके क्रमश: 5.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। भारत में जन्मीं आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है। इस बयान के बाद गीता गोपीनाथ सुर्खियों में आ गईं हैं।
भारत में जन्मी गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पहली महिला चीफ इकोनॉमिस्ट हैं। वे 2019 में इस पद पर आसीन हुईं थी। आईएमएफ के एक बयान में कहा गया है कि वह इकोनॉमिक काउंसलर और संस्थान के रिसर्च डिपार्टमेंट की निदेशक बनी हैं। उन्होंने मौरिस ओब्स्टफेल्ड की जगह ली जिन्होंने 2018 के अंत में अपनी रिटारटमेंट की घोषणा की थी।
आईएमएफ वैश्विक स्तर पर वित्त और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में काम करने वाला एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है। गीता इस पद पर काबिज होने वाली दूसरी भारतीय हैं। उनसे पहले भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन इस पद पर आसीन हुए थे। गीता एक अमेरिकी नागरिक हैं और ओसीआई कार्ड धारक हैं।
गीता गोपीनाथ का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 1971 में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से दो बार मास्टर डिग्री ली। 2001 में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी पूरी की। उनकी शादी इकबाल सिंह धालीवाल से हुई है जो मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अर्थशास्त्र विभाग में पोवर्टी एक्शन लैब में कार्यकारी निदेशक हैं।
आईएमएफ के प्रमुख क्रिस्टियन लगार्डे ने एक बयान जारी कर कहा था, “गीता दुनिया के उत्कृष्ट अर्थशास्त्रियों में से एक है, जिसमें शैक्षणिक साख, बौद्धिक नेतृत्व का एक ट्रैक रिकॉर्ड और पर्याप्त अंतर्राष्ट्रीय अनुभव है।” गीता गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं। वह हार्वर्ड में अर्थशास्त्र विभाग की स्थायी सदस्य बनने वाली तीसरी महिला और दूसरी भारतीय बनीं। उनसे पहले अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र विभाग की स्थायी सदस्य बने थे।
गीता गोपीनाथ नेशनल इकोनॉमिक रिव्यू की सह-संपादक और नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में इंटरनेशनल फाइनेंस एंड मैक्रोइकॉनॉमिक्स प्रोग्राम की सह-निदेशक के पद पर भी काम कर चुकी हैं। गोपीनाथ एक्सचेंज रेट, व्यापार और निवेश, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट, संकट, मौद्रिक नीति, कर्ज और उभरते बाजार संकटों पर करीब 40 रिसर्च पेपर लिख चुकी हैं।
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