संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा कि यह वृद्धि दर जी-20 सदस्य देशों की तुलना में काफी ऊंची है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में आर्थिक विश्लेषण और नीति खंड की वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा के प्रमुख हामिद राशिद ने ‘विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2023’ रिपोर्ट पेश करने के दौरान आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुझे लगता है कि भारत इस वक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में आकर्षक स्थल है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च ब्याज दरों और दुनियाभर में निवेश व निर्यात पर आर्थिक मंदी के प्रभाव के बीच भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2023 में 5.8 फीसद रहने की संभावना है। राशिद ने कहा कि अन्य दक्षिण एशियाई देशों में आर्थिक वृद्धि दर को लेकर स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण रहने वाली है, जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि के मजबूत रहने की उम्मीद है। दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत की 2024 में वृद्धि दर 6.7 फीसद रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि निकट भविष्य में मजबूत मांग के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी रहेगी।
राशिद ने कहा कि 2024 में आर्थिक वृद्धि दर बढ़ कर 6.7 फीसद रहने का अनुमान है और जी-20 के अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह भरोसेमंद और टिकाऊ वृद्ध दर है। भारत में गरीबी रेखा के नीचे कई लोग रहते हैं। इसलिए वृद्धि दर का यह स्तर बेहतर है।
भारत अगर इस वृद्धि दर को कायम रखता है तो यह सतत विकास लक्ष्यों के लिए और वैश्विक गरीबी कम करने के लिए अच्छा रहेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर राशिद ने भारत की मौजूदा आर्थिक मजबूती के लिए तीन कारकों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत में बेरोजगारी दर पिछले चार साल में भारी गिरावट के साथ 6.4 फीसद रह गई। इसका मतलब है कि घरेलू मांग बहुत मजबूत है।
राशिद ने कहा कि भारत में महंगाई दबाव भी काफी कम हुआ है और इसके इस साल करीब 5.5 फीसद व 2024 में पांच फीसद रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि देश के केंद्रीय बैक को मौद्रिक नीति के मोर्चे पर आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत नहीं होगी। भारत को लाभ पहुंचाने वाला तीसरा तथ्य ये है कि यहां आयात बिल कम रहा है। खासकर ऊर्जा आयात लागत कम रही है। इससे भी 2022 और 2023 में भारत की वृद्धि दर संभावना बेहतर हुई।