भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पहले से ही धीरे गति से चल रहा है। लेकिन अब टैक्स को लेकर इसमें एक और रोड़ा आ गया। भारत में जापानी राजदूत सुजुकी सतोशी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस गतिरोध को दूर करने का आह्वान किया है। उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि यदि इसका समाधान नहीं किया गया, तो यह मुद्दा जापानी अनुदान के तहत स्वीकृत सभी परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसके अलावा बुलेट ट्रेन परियोजना में और देरी होगी।
दरअसल इनकम टैक्स को लेकर प्रतिष्ठित बुलेट ट्रेन परियोजना एक बाधा का सामना कर रही है। जापानी पक्ष जो इस परियोजना में भागीदार है, उन्होंने कहा है कि यदि आयकर प्रावधानों में छूट नही मिलती तो इसमें देरी हो सकती है। जापानी पक्ष ने सरकार को यह भी सूचित किया है कि प्रतिपूर्ति (reimbursement) का विकल्प संभव नहीं होगा क्योंकि विचाराधीन कंसल्टेंसी कंपनियां आकार में छोटी हैं और उनके पास खर्च वहन करने के लिए धन का ऐसा पूल नहीं है।
जापानी पक्ष के अनुसार जेआईसीए अनुदान के तहत प्रभावित होने वाली अन्य परियोजनाओं में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बिजली आपूर्ति में सुधार और बेंगलुरु में एक उन्नत यातायात सूचना और प्रबंधन प्रणाली शामिल है, जो दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजना है। इन दो परियोजनाओं के लिए जापान प्रतिपूर्ति के सिद्धांत पर सहमत हो गया है, लेकिन उसने कहा है कि यह बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह एक बड़ी परियोजना है।
जापान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आयकर और संबंधित शुल्कों का जितनी जल्दी हो सके उतने जल्दी कंसल्टेंसी फर्मों को पूर्व भुगतान का आश्वासन मांग रहा है। सतोशी ने पत्र में कहा है कि, “हमें यह मानना होगा कि इन लागतों को जेआईसीए की अनुदान सहायता से वहन नहीं किया जा सकता है। मैं इस स्थिति से चिंतित हूं क्योंकि यह मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।”
जापान दूतावास ने इस मुद्दे पर कॉल और ईमेल का जवाब नहीं दिया। भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर द संडे एक्सप्रेस को बताया कि यह देखने की कोशिश की जा रही है कि इस मामले को कैसे बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सकता है।