लंका में जहां रावण ने मां सीता को बनाया था बंदी, वहीं का पत्थर राम मंदिर निर्माण में होगा इस्तेमाल
श्रीलंका स्थित सीता एलिया से पत्थर मंगवाकर मंदिर में इस्तेमाल किया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने जब देवी सीता का हरण किया था तो उन्हें इसी जगह पर रखा था।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अपने आप में एक ऐतिहासिक पल है। सरकार कोशिश में है कि मंदिर में कुछ ऐसी चीजें इस्तेमाल की जाए, जो रामायण काल से जुड़ी रही हैं। इसी कवायद के तहत श्रीलंका स्थित सीता एलिया से पत्थर मंगवाकर मंदिर में इस्तेमाल किया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने जब देवी सीता का हरण किया था तो उन्हें इसी जगह पर रखा था।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सरकार के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि इसे लेकर कवायद शुरू कर दी गई है। श्रीलंका सरकार से संपर्क साधकर पत्थर मंगवाने का काम जल्दी किया जाएगा। हालांकि, अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी है कि इस तरह के कितने पत्थर श्रीलंका से मंगवाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि रामायण काल से जुड़ी कई चीजों संजोई जा रही हैं। कोशिश है कि मंदिर निर्माण में इनका इस्तेमाल किया जाए।
Stone from Sita Eliya in Sri Lanka, where Goddess Sita is believed to have been held captive by Ravana, to be used for building Ram temple in Ayodhya: Official
— Press Trust of India (@PTI_News) March 20, 2021
मंदिर का भव्य बनाने के लिए जोरशोर से तैयारी चल रही हैं। मंदिर निर्माण में रामेश्वरम की मिट्टी लगाने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी भरकर लाई जा रही है। इतिहासकारों ने 200 ऐसी जगहों का पता भी लगाया है, जहां वनवास के दौरान राम-सीता ठहरे थे। केंद्र ने ऐसे 17 बड़े स्मारकों की पहचान की है। रामेश्वरम भी इसमें शामिल है।
गौरतलब है कि 134 साल पुराने अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। इस फैसले के बाद बीते साल अगस्त माह में पीएम मोदी ने अयोध्या में जाकर भूमि पूजन किया था।
कोर्ट ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है। हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। तत्कालीन चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा था कि मंदिर को अहम स्थान पर ही बनाया जाए। रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा।