अपने देश मे कुल सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा कृषि द्वारा प्राप्त होती है, जो कि नौकरी और अन्य सेवाओं की तुलना में या उद्योग की तुलना में बहुत ही कम है। इसके बावजूद भी भारत एक कृषि प्रधान देश हैं, क्योंकि यहां की लगभग 65 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती हैं।
इफको किसान के एमडी संदीप मल्होत्रा के मुताबिक दुनिया का लगभग 2.4% जमीन और 4% जल भारत में हैं लेकिन पूरी दुनिया की लगभग 18% आबादी भारत में निवास करती हैं। इसका अभिप्राय हैं कि भारत में कृषि पद्धतियों और संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करने की जरूरत है, ताकि सभी के लिए समुचित भोजन की व्यवस्था की जा सके।
जल्द तैयार होने वाली किस्मों को अपनाने, रोग-बीमारियों और कीटों से लड़ने की क्षमता रखने वाले किस्म, विषम परिस्थितियों जैसे सूखा या जलभराव की स्थिति में अपने आप को जीवित रख पाने की गुणों वाले किस्मों का चुनाव करने के कारण आज कुल कृषि क्षेत्र और बुवाई का क्षेत्र पहले की अपेक्षा बढ़ा है, लेकिन अभी भी हमे बहुत से महत्वपूर्ण पद्धतियों और निकायों पर ध्यान देने की जरूरत हैं। उन्ही में से एक हैं सही बीज का चुनाव।
क्या आप जानते हैं कि उच्च गुणवत्ता और प्रमाणित बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत तक सुधार किया जा सकता है? इसलिए किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि बीजों का चयन करते समय कुछ आवश्यक सावधानियों को अपनाएं।
आपको हम बताना चाहेंगे कि केन्द्रीय प्रजाति विमोचन समिति (CVRC) के विमोचन (release) एवं भारत सरकार की अधिसूचना (notification) के उपरान्त ही बीज उत्पादन का कार्य किया जा सकता है।
अधिसूचित फसलों-प्रजातियों की निम्न श्रेणियाँ होती हैं:-
1. प्रजनक बीज (Breeder) – यह बीज नाभिकीय (न्यूक्लियस) बीज से बीज प्रजनक अथवा सम्बन्धित पादक प्रजनक की देखरेख में उत्पादित किया जाता है और यह आधारीय बीज के उत्पादन का स्रोत होता है। इस बीज के थैलों पर सुनहरा पीला (गोल्डन) रंग का टैग लगाया जाता है।
2. आधारीय बीज (Basal) – इस बीज का उत्पादन प्रजनक बीज से किया जाता है। इसका उत्पादन, संसाधन (processing), पैकिंग, रसायन उपचार एवं लेबलिंग आदि की प्रक्रिया बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में मानकों के अनुरूप होती है। इनके थैलों में लगने वाले टैग का रंग सफेद होता है।
3. प्रमाणित बीज (Certified)- कृषकों को फसल उत्पादन हेतु बेचे जाने वाला बीज प्रमाणित बीज है। प्रमाणित बीज के टैग का रंग नीला होता है।
4. सत्यापित बीज (टीएल) – इसका उत्पादन, उत्पादन संस्था द्वारा आधारीय/प्रमाणित बीज से मानकों के अनुरूप किया जाता है। उत्पादन संस्था का लेवल लगा होता है या थैले पर उत्पादक संस्था द्वारा नियमानुसार जानकारी उपलब्ध कराई गई होती है।
कृषकों को बेहतर फसल उत्पादन के लिए बीज़ का चुनाव करते समय इन बातों का ख़्याल रखना चाहिए-
1- बेहतर फसल उत्पादन की शुरुवात बेहतर बीज़ के चुनाव से होती हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज़ मजबूत और स्वस्थ फसल की वृद्धि के लिए आवश्यक हैं, जो बीमारियों या सूखे की स्थिति में भी अपने आप को जीवित रख सकते हैं। विश्वसनीय बीजों को प्रमाणित बीज स्टॉकिस्ट या एग्रोवेट की दुकानों से खरीदा जा सकता हैं।
2- छोटे, सिकुड़े हुए और टूटे हुए बीजों में अंकुरण के लिए कम पोषण होता है। इस तरह के बीजो को हटाकर किसान स्वस्थ पौध और फसल प्राप्त कर सकते हैं।
क्या किसान अपने स्वयं के बीज भी पैदा कर सकते हैं?
जी हां किसान खुद का बीज़ उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन जब किसान खुद के बीज़ का उपयोग करना चाह रहें हो तो इस स्थिति में, बीज़ का चुनाव फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। उत्तम बीज अधिक उपज देते हैं। कई
बीमारियां हैं, जो बीज के माध्यम से फैलती हैं। यदि संक्रमित बीजों का उपयोग अगली फसल के लिए किया जाता है तो बीज जनित रोग खेत में स्थानांतरित हो सकते हैं। इसलिए किसान को स्वयं द्वारा उत्पादित बीज को स्वस्थ पौधों से ही प्राप्त
करना चाहिए।
स्वयं द्वारा बीज़ उत्पादन किसान क्यों करें?
वैसे तो किसानों द्वारा खुद के बीज का चयन मुख्य रूप से स्वस्थ फसल उत्पादन या अगले साल के लिए बीजोत्पादन के लिए किया जाता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान इसका उपयोग फसल की किस्म की गुणवत्ता को बनाए रखने और
उसमें सुधार लाने के लिए भी कर सकते हैं।
बीज़ उत्पादन के लिए लगाए गए फसल में विभिन्न पौधों के लक्षणों का निरीक्षण करके किसान यह जान सकता है कि कौन सा पौधा बेहतर विकास कर रहा है और कौन सा नहीं। कुछ पौधों में ऐसी विशेषताएं हो सकती हैं, जो अधिक वांछनीय हैं। बीज़ उत्पादन के लिए लगाए गए फसल वृद्धि के दौरान, किसान इन अंतरों का
निरीक्षण करके, एक रिबन के साथ या छड़ी के साथ पसंदीदा पौधों को चिह्नित कर सकता है और कटाई के दौरान, किसान इन चिन्हित पौधों के बीज को अगली फसल के लिए आरक्षित कर सकते हैं।
फसल में कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भी अच्छे बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह उन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है जो अगले सीजन के लिए रखे जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करने के लिए अपनी अगली फसल में सुधार करना चाहते हैं।
बीजों की गुणवत्ता को वांछित स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए बीज प्रमाणीकरण का प्राविधान है। जनक बीजों का प्रमाणीकरण गठित समिति द्वारा किया जाता है, जबकि आधारीय एवं प्रमाणित बीजों का प्रमाणीकरण का उत्तरदायित्व प्रदेश की बीज प्रमाणीकरण संस्था का है। इसके लिए किसान अपने जनपद के कृषि कार्यालय मे संपर्क कर सकते हैं।
बीज प्रमाणीकरण की प्रक्रिया निम्न चरणों में पूर्ण की जाती है:-
1) बीजों का सत्यापन – सरल और प्रमाणित बीजों के विकास के लिए क्रमशः प्रजनक और आधारीय बीजों का उपयोग महत्वपूर्ण है। विशेष परिस्थितियों में, एक ही फसल से एक ही श्रेणी के बीज उत्पन्न करने की अनुमति है। बीज
प्रमाणीकरण एजेन्सिया बीज की उत्पत्ति का निरीक्षण के समय बिल, स्टोर रसीद और टैग द्वारा सत्यापित करती है।
2) फसल निरीक्षण – पुष्पावस्था एवं फसल पकने के समय, दो तरीके के अवलोकन आवश्यक है। निरीक्षण के समय बीज फसल में अवांछित पौधे नहीं होने चाहिए और फसल खरपतवार रहित होनी चाहिए। निरीक्षण के समय खेत में जगह-जगह पौधों की संख्या एवं उनके मानक के काउन्ट लिए जाते हैं।
3) प्रयोगशाला परीक्षण – विधायन(Legislation) के उपरान्त प्रत्येक लाट से न्यायदर्श लेकर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे जाते हैं। जनक बीजों का परीक्षण विश्वविद्यालय से तथा आधारीय व प्रमाणित बीजों का परीक्षण बीज प्रमाणीकरण संस्था की प्रयोगशाला में किया जाता है।
4) टैगिंग – जनक बीज पर सुनहरी पीले रंग का टैग, प्रजनक तथा आधारीय व प्रमाणित बीजों पर क्रमशः सफेद व नीले रंग के टैग बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा उपलब्ध कराये जाते है।
a) उस बीज को उत्तम कोटि का माना जाता है जिसमें आनुवांशिक शुद्धता 95 से 100 प्रतिशत के बीच में होती है, यह अन्य फसल एवं खरपतवार रहित हो, रोग व कीट के प्रभाव से मुक्त हो, अंकुरण क्षमता 80 से 95% के बीच में हो, खेत में जमाव और अन्ततः उपज अच्छी हो।
b) कृषि विभाग द्वारा खरीफ, रबी एवं जायद फसलों की विभिन्न प्रजातियों के अनुमोदित बीजों का वितरण सभी जनपदों के विकास खण्ड स्थिति बीज भंडार के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
c) अपने विकास खण्ड से बीज प्राप्त करें, प्रमाणित बीजों से बुवाई करें, जिससे आप अपनी फसलों में वृद्धि एवं लाभ देख सकते हैं। शोधित बीज बच जाने पर पुनः प्रयोग करें। बीज प्रयोगशाला से पुनः जमाव परीक्षण कराकर मानक के अनुरूप होने पर पुनः बोया जा सकता है।
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