scorecardresearch

AIIMS: दलाली और उगाही के कारण मानवीय मदद पर रोक, मरीजों को तुरंत इलाज पाना दूभर

। यहां कर्मचारियों व दलालों ने पंजीकरण करवाने के नाम पर आपातकालीन व्यवस्था को ही हथिया लिया और इसके एवज में 1000 से लेकर 2000 रुपए वसूल कर किसी भी मरीज का कार्ड बनावाकर उन्हें डॉक्टर से मिलवा देते थे।

AIIMS: दलाली और उगाही के कारण मानवीय मदद पर रोक, मरीजों को तुरंत इलाज पाना दूभर
AIIMS में प्रतिदिन देशभर से हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। (सांकेतिक फोटाे।)

एम्स में ऑनलाइन पंजीकरण की अनिवार्यता से मरीजों को तुरंत इलाज पाना दूभर हो गया है। इसके बाद भी कुछ गंभीर और जरूरी मरीजों के लिए डॉक्टरों की सिफारिश से पंजीकरण और प्रोटोकॉल दफ्तर से आपातकालीन सुनवाई की व्यवस्था थी। लेकिन बीते कुछ समय से यह व्यवस्था भी अघोषित रूप से खत्म कर दी गई है। इसके पीछे दलाली और उगाही को एक बड़ा कारण बताया जा रहा है।

दूर गांव से इलाज के लिए आने वाले गंभीर बीमारियों के मरीजों को भारी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। यहां कर्मचारियों व दलालों ने पंजीकरण करवाने के नाम पर आपातकालीन व्यवस्था को ही हथिया लिया और इसके एवज में 1000 से लेकर 2000 रुपए वसूल कर किसी भी मरीज का कार्ड बनावाकर उन्हें डॉक्टर से मिलवा देते थे। इसकी शिकायत जब एम्स प्रशासन को हुई तो उन्होंने अघोषित तौर डॉक्टरों से इस विशेषाधिकार का उपयोग न करने को कहा है।

यहां कर्मचारियों के भ्रष्टाचार का मामला आरपी सेंटर में सामने आ चुका है। हड्डी रोग विभाग में दिखाने आए मरीज अभिषेक के परिजन ने बताया कि हम जब डॉक्टर से लिखवाने गए तो उनके दफ्तर में पता चला कि प्रशासनिक दफ्तर से आए आदेश में डॉक्टरों को मना कर दिया गया है कि वे मरीजों को दिखाने के लिए पर्ची साइन नहीं करें।

वीआइपी मरीजों के लिए सेवा चालू : एम्स में बिना पूर्व पंजीकरण के परचा बनाने की सुविधा पूरी तरह खत्म कर दी गई है। ऐसे मरीजों की मदद कुछ डॉक्टर मानवता के आधार पर कर देते और उनके दस्तखत करने से बिना पंजीकरण के भी मरीज का कार्ड बन जाता था। मानवता के आधार पर गंभीर मरीजों की मदद के लिए एक रास्ता प्रोटोकाल दफ्तर से बनाया गया था जहां मरीज की शारीरिक स्थिति व बीमारी की गंभीरता के आधार पर मदद हो पाती थी। लेकिन अब वह भी बंद कर दिया गया है।

पढें राष्ट्रीय (National News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 26-09-2021 at 06:18 IST
अपडेट