केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को युवा इंजीनियरों से अपील करते हुए कहा कि वह राम सेतु जैसे ऐतिहासिक चमत्कारों पर अनुसंधान करके देश के गौरवपूर्ण स्मारकों के बारे में नये सत्य खोजें। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 65वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए ये बातें कहीं। निशंक ने कहा कि भारत सदियों से ज्ञान से लेकर विज्ञान तक का वैश्विक नेता रहा है। उन्होंने दावा किया कि दुनिया की पहली भाषा संस्कृत है।
रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि, “जब हम पीछे देखते हैं तो याद करते हैं कि हमारे इंजीनियरों ने कैसे राम सेतु बनाया था और हमारे भावी इंजीनियरों को इस पर गहन अध्ययन करना चाहिए।” भारतीय पुराणों में उल्लेख है कि भगवान राम की वानर सेना ने समुद्र पार करके लंका जाने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था।
कार्यक्रम के बाद जब मीडिया ने निशंक से पूछा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का कहना है कि यह साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि राम सेतु मानव निर्मित है। इस पर एचआरडी मंत्री ने कहा, “मेरा मानना है कि इस पर रिसर्च होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मैंने कहा था कि हमारे युवा इंजीनियरों की भावी पीढ़ी को राम सेतु जैसे ऐतिहासिक चमत्कारों के बारे में नये निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए नये अनुसंधान करने चाहिए ताकि हमारे गौरवपूर्ण स्मारकों के बारे में नये सत्य खोजे जाएं। जिससे दुनिया को एक बार फिर इस बारे में बताया जा सके कि सदियों पहले हमने क्या-क्या निर्माण किया था।”
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को संस्कृत भाषा की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह वैज्ञानिक भाषा है और उन्होंने इसके दुनिया की प्रथम भाषा होने का भी दावा किया।
भारत सदियों से ज्ञान से विज्ञान तक का वैश्विक नेता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने सदियों पूर्व दुनिया को योग और आयुर्वेद दिये और विज्ञान इनके पीछे आया। मंत्री ने कहा कि संस्कृत सबसे उपयोगी, सबसे वैज्ञानिक भाषा है और कंप्यूटर द्वारा पढ़ी जा सकती है।
बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर दावा किया था कि भगवान राम के अस्तित्व और मानव निर्मित सेतु के तौर पर राम सेतु के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हालांकि सितंबर 2007 में हलफनामा वापस ले लिया गया था। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने पिछले साल अप्रैल में घोषणा की थी कि वह यह पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं करेगा या अध्ययन के लिए धन नहीं देगा कि राम सेतु मानव निर्मित है या प्राकृतिक है।