यहां पर अनियंत्रित ढंग से विकास होना इस शहर के विनाश होने का मुख्य कारण है। यह राय देश के अंतरराष्ट्रीय भू विशेषज्ञ तथा कालेज आफ फारेस्ट्री, रानी चोरी टिहरी और पहाड़ के पर्यावरण के जानकार एसपी सती की है।
दो टूक शब्दों में उन्होंने कहा कि भले ही सरकारी आंकड़े जोशीमठ के 40 फीसद आपदाग्रस्त होने के हों परंतु जोशीमठ की वास्तविक स्थिति यह बताती है कि हालात और भी ज्यादा खराब हैं और अब यह नगर रहने लायक नहीं रहा है और न ही आपदाग्रस्त क्षेत्र का कोई उपचार हो सकता है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ शुरू से ही संवेदनशील रहा है।
वहां पर पिछले कुछ सालों से लगातार अंधाधुंध तरीके से भवनों का निर्माण और वहां पर सीवर और पीने के पानी की निकासी का कोई भी व्यवस्थित ढंग से कार्य न किया जाना और ऊपर से अलकनंदा नदी पर इस अति संवेदनशील क्षेत्र में एनटीपीसी द्वारा विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया जाना, उसके लिए नदी और शहर के एक हिस्से को काटकर सुरंग बनाना, इस शहर के विनाश होने का प्रमुख कारण है।
उन्होंने बताया कि जोशीमठ के स्थानीय संस्था के कहने पर उन्होंने जोशीमठ का गहन सर्वेक्षण किया था और पिछले साल जून-जुलाई में अपनी रिपोर्ट स्थानीय संस्थाओं को सुपुर्द की थी। स्थानीय संस्था ने राज्य सरकार के नुमाइंदों को अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ में किसी भी तरह के निर्माण कार्य न करने, एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना को रोकने और क्षेत्र के सीवर निकासी की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने की सिफारिश की गई थी परंतु यह सिफारिश सरकारी दफ्तरों में धूल फांकती रही और जिसका नतीजा एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगर के विनाश के रूप में देखने को मिल रहा है।
विज्ञानियों की राय
जोशीमठ आपदा क्षेत्र में सबसे पहले गए विज्ञानियों के दल ने भू धंसाव की कई वजहें बताई हैं। उनमें पहला- पुराने भूस्खलन क्षेत्र में मलबे के ढेर पर इस नगर का बसा होना, दूसरा -सीवर और नल के पानी की निकासी की व्यवस्था इस क्षेत्र में समुचित न होना और जमीन के नीचे सीवर के पानी का लगातार रिसाव होना।
तीसरे -शहर और आसपास के क्षेत्रों में नालों का ढंग से सुदृढ़ीकरण न होना ,चौथे – जोशीमठ नगर क्षेत्र में क्षमता के अनुसार निर्माण कार्यों को नियंत्रित न किया जाना यानी अनियंत्रित विकास होना, पांचवे-जोशीमठ पर 47 साल पहले विज्ञानियों की सर्वे रिपोर्ट और सुधारों की अनदेखी करना तथा छठे- अलकनंदा नदी से हो रहे कटाव की समय रहते समुचित रोकथाम ना करना प्रमुख वजह हैं। इस तरह विज्ञानियों के पहले दल ने शासन-प्रशासन और अब तक की सरकारों को सीधे-सीधे आईना दिखाया है।
विज्ञानियों के दल के प्रमुख सुझाव
जोशीमठ आपदा से निपटने के लिए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, उसके लिए इंतजाम करने के लिए विज्ञानियों के दल ने शासन को जो सिफारिशें भेजी हैं, उनमें प्रमुख रूप से नेशनल इंस्टिट्यूट आफ हाइड्रोलआजी को जोशीमठ में लगातार बह रहे पानी की जांच कराने और उसके मूल स्रोत का पता लगाने, जोशीमठ नगर में निर्माण कार्य कि वहन क्षमता का तकनीकी अध्ययन कराने तथा भू क्षरण और मिट्टी की पकड़ को जानने के लिए भू तकनीकी जांच विस्तार से कराने, वहां बने मकानों की नींव की जांच कराने के सुझाव आदि शामिल है। इसके साथ ही दल ने रुड़की आइआइटी से दोनों जांच कराने की बात कही है