जाने-माने इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहान ने मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर एक आलोचनात्मक लेख लिखा था। उन्होंने इस लेख में इस प्रोजेक्ट को गैर जरूरी करार देते हुए मूर्खता और दिखावे से भरा बताया। यह लेख अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में उनके नियमित कॉलम में प्रकाशित होना था, पर अखबार ने इस बार उनका यह लेख छापने से इन्कार कर दिया। कहा कि वह यह लेख छपने की बात छोड़ दें। हालांकि, लेखक ने साफ किया कि यह फैसला संपादकीय स्तर पर नहीं हुआ बल्कि प्रबंधन और मालिकान के स्तर पर लिया गया।
गुहा ने इस बाबत रविवार को ट्वीट किया था- हिंदुस्तान टाइम्स में मेरे नियमित कॉलम ‘पास्ट एंड प्रेजेंट’ के प्रिंट और ऑनलाइन के पाठकों को बताना चाहता हूं कि इस रविवार के अंक के लिए मैंने सेंट्रल विस्टा को लेकर एक लेख लिखा था। अखबार ने इस कॉलम को ही साफ कर दिया है। ऐसे में यह लेख जल्द ही किसी और फोरम (और निर्भीक) पर सामने आएगा।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उनसे पूछा- क्या अखबार ने आपको कारण बताया? और, क्या आप आगे उनके लिए लिखते रहेंगे? गुहा ने जवाब दिया- हिंदुस्तान टाइम्स के जिन संपादकों के साथ मैंने काम किया, वे तो उसे हंसी खुशी छापना चाहते हैं। पर उनके मालिकान और प्रबंधन उन पर अपनी चलाते हैं। मुझे विकल्प दिया गया कि मैं इस पीस को छोड़ दूं और कॉलम जारी रखूं। ऐसे में मैंने आगे से उनके लिए न लिखने का फैसला लिया है।
राजस्थान के जयपुर में Haridev Joshi University of Journalism and Mass Communication के वीसी और पूर्व संपादक व पत्रकार रहे ओम थानवी ने लिखा- सेंसर के दिन। रामचंद्र गुहा जैसे विद्वान का स्तम्भ हिंदुस्तान टाइम्स जैसे अख़बार ने काट-पीट दिया, क्योंकि उसमें 20000 करोड़ रुपए की लागत वाले “मूर्खता और दिखावे” से भरे तुग़लक़ी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की आलोचना थी। गुहा अपना वह पूरा आलेख अब अन्यत्र छपवाएंगे।
हालांकि, बाद में यह लेख ‘The Wire’ ने प्रकाशित किया। गुहा ने उसी के लिंक को शेयर करते हुए लिखा- सेंट्रल विस्टा को फिर से डिजाइन करने पर हमेशा से विवाद रहा है। कोरोना वायरस संकट के साथ यह और असमर्थनीय बन गया। प्रधानमंत्री को देश के भले के लिए अपने इस प्रोजेक्ट का त्याग करना चाहिए। मेरा कॉलम द वायर में छपा है, जिसे हिंदुस्तान टाइम्स छापने से बेहद डरा हुआ था।
बता दें कि मध्य दिल्ली का राजपथ वाला इलाका सेंट्रल विस्टा भी कहा जाता है। लुटियन जोन में आने वाले इस क्षेत्र को रीडिजाइन करने की योजना है, जो कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है। जुलाई 2022 तक इसके तहत नई संसद और 2024 तक नया सचिवालय बनना है। पूरी परियोजना को लेकर सवाल भी खड़े हो चुके हैं।
दरअसल, इस प्रोजेक्ट को लेकर बोली की प्रक्रिया प्रश्न उठे थे। कई नेताओं ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ है। दूसरा- इस परियोजना को लेकर इतनी जल्दी क्यों है, जबकि कहा जा रहा है कि इसके मेकओवर के बाद सिर्फ सरकारी अधिकारी ही इस क्षेत्र के तहत जा सकेंगे। आम लोगों को वहां नहीं जाने दिया जाएगा। बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई भी होगी। आलोचकों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर सार्वजनिक स्तर पर सलाह-मशविरा और शोध का सहारा भी नहीं लिया गया है।