दिल्ली के उच्च न्यायालय ने सीआईएएफ के एक जवान की बर्खास्तगी के फैसले को कायम रखा है जिसपर आरोप है कि उसने ‘एक शत्रु देश’ की एक महिला को सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए बल की विभिन्न इकाईयों के बारे में जानकारी दी थी। अदालत ने फैसले में कहा कि किसी अंडरकवर एजेंट को चैट के जरिए ऐसी जानकरियां देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से घातक है। सीआईएसएफ के कांस्टेबल की याचिका को रद्द करते हुए अदालत ने ये विचार रखे। यह पता चलने के बाद कि कांस्टेबल फेसबुक पर एक ऐसी महिला के साथ बातचीत किया करता था जो खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के लिए अंडर कवर एजेंट के तौर पर काम कर रही थी, साल 2011 में उसे नौकरी से हटा दिया गया था।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने सीआईएसएफ की इकाईयों और अपने सहकर्मियों से संबंधित जानकारी दी, वह भी ऐसे व्यक्ति को जो दुश्मन विदेशी राष्ट्र का अंडर कवर एजेंट है, यह एक महत्वपूर्ण पहलू है जो संगठन के सुरक्षा हितों के लिए घातक है।’ याचिकाकर्ता बालकर सिंह ने सेवा से बर्खास्त किए जाने के सात दिसंबर, 2011 के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सिंह को जून 2000 में सीआईएसएफ में कांस्टेबल के तौर पर नियुक्त किया गया था। केंद्र की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता ने दावा किया कि सीआईएसएफ मुख्यालय को सहयोगी खुफिया एजेंसी से जानकारी मिली थी कि सिंह फेसबुक के जरिए एक पाकिस्तानी एजेंट के साथ संपर्क में हैं और उसके साथ जानकारियां साझा कर रहा है।