रिपोर्ट – Jignasa Sinha
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अभी तक महिलाओं के लिए असुरक्षित ही है। इस संबंध में National Crime Records Bureau (NCRB) ने जो आंकड़ें दिए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में यहां महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुए। साल 2018 में महिलाओं की शिकायत पर दिल्ली में करीब 13,640 मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं के साथ ना सिर्फ जुर्म के मामले बढ़े हैं बल्कि साल 2018 में पेंडिग केस भी बढ़े हैं। साल 2017 तक 18,198 से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं। इसमें पति या रिश्तेदारों के द्वारा बलात्कार, प्रताड़ना, एसिड अटैक, क्रूरता इत्यादि संबंधी मामले ज्यादा हैं। मुंबई में पेंडिंग केसों की संख्या करीब 7,663 है।
कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और महिला सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की रिपोर्ट अब पहले से ज्यादा दर्ज कराई जा रही है। इसका मतलब यह है कि पहले जहां कई महिलाएं तनाव औऱ अन्य वजहों से रिपोर्ट नहीं दर्ज करा पाती थीं वो अब सामने आ रही हैं।
एक बात यह भी निकलकर सामने आई है कि महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर अपराध क्रूरता से संबंधित थे और शिकायत पति या रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज कराए गए थे। दिल्ली में साल 2018 में बलात्कार के 1,217 मामले दर्ज हुए हैं। कर्नाटक में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,514 मामले दर्ज हुए जबकि हरियाणा में ऐसे मामलों की संख्या 14,326 है।
मुंबई, चेन्नई और बेंग्लुरू जैसे 19 मेट्रोपॉलिटन शहरों की अगर बात करें तो यहां महिलाओं के प्रति कुल अपराध की संख्या 42,180 है। जिसमें अकेले दिल्ली में 27.8 फीसदी अपराध हुए। एनसीआरबी ने वार्षिक थ्री वॉल्यूम रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2017-18 के बीच कुल 2,225,977 अपराधिक मुकदमे सिर्फ साल 2018 में दर्ज हुए। हालांकि दिल्ली शहर में अपराध के आंकड़ें बढ़े हैं लेकिन किडनैपिंग संबंधी अपराध कम हुए हैं। जहां साल 2017 में अपहरण के कुल 5,203 केस दर्ज थे वहीं साल 2018 में इससे संबंधित कुल 5,124 अपराध ही दर्ज हुए।
