परिवार के डिटेल्स दो, वर्ना सैलरी नहीं! हरियाणा सरकार का कर्मचारियों को फरमान
उधर, इस सरकारी नोटिफिकेशन को विपक्ष ने मुद्दा बनाया है। दावा किया है कि यह व्यवस्था कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही सवाल उठाया है कि सरकार का इस तरह निजी डेटा जुटाने के पीछे क्या मकसद है?

हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने अनोखा फरमान जारी किया है। सरकार ने सभी राज्य कर्मचारियों से कहा है कि वे अपने परिवार के डिटेल्स दें, वरना उन्हें सैलरी नहीं दी जाएगी। वहीं, विपक्ष ने इस आदेश को राज्य कर्मचारी विरोधी करार दिया है। बता दें कि सरकार का यह आदेश ऐसे वक्त पर आया है, जब इस साल के अंत में सूबे के विधानसभा चुनाव होने हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फरमान खट्टर सरकार के वित्त विभाग ने जारी किया है। जुलाई, 2019 की तनख्वाह के लिए सूबे के सभी पक्के और कच्चे कर्मचारियों (सरकारी विभाग, बोर्ड-निगम, स्थानीय निकाय, सरकारी कंपनियों और स्कूलों में) को परिवार पहचान पत्र (स्पेशल फैमिली कार्ड) बनवाना होगा। कार्ड बनने के बाद इन कर्मियों को बताई गई वेबसाइट पर परिवार से जुड़ी जानकारियां भी अपलोड करानी होंगी, जिसके लिए 29 जुलाई, 2019 तक की समयसीमा दी गई।
सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह कदम और वेबसाइट भ्रष्टाचार रोकने और सुशासन लाने के मकसद से उठाया गया है। कहा जा रहा है कि इस व्यवस्था के अंतर्गत करीब 50 लाख से अधिक परिवारों के ऐसे पहचान पत्र बनाए जाएंगे। जुलाई की सैलरी के लिए सभी राज्य सरकार के कर्मियों को डीडीओ के बार परिवार की जानकारी देनी होगी।
जानकारों की मानें तो खट्टर सरकार इस व्यवस्था के जरिए अधिकतम डेटा जुटाने की कोशिश में हैं। वह इस कार्ड वाली योजना के जरिए जानना चाहती है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार में कितने सदस्य हैं, परिवार का मुखिया कौन है, कौन घर चलाता है, परिवार में बच्चे कितने हैं, सब लोगों की जाति क्या है और हर सदस्य के पास संपत्ति में क्या-क्या है? सरकार इस डेटा को आगामी विस चुनाव के दौरान इस्तेमाल कर सकती है।
उधर, इस सरकारी नोटिफिकेशन को विपक्ष ने मुद्दा बनाया है। दावा किया है कि यह व्यवस्था कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही सवाल उठाया है कि सरकार का इस तरह निजी डेटा जुटाने के पीछे क्या मकसद है?
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ सरकार के इस कदम को आगामी विस चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार के कर्मचारी और उनके परिजन भाजपाई सरकार के लिए बड़ा वोट बैंक हैं, लिहाजा वह उनका डेटा जुटाकर उन्हें आगे साधने की तैयारी कर सकती है।
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