सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे पूरा हो गया। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद में शिवलिंग मिला है। इसको लेकर सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट्स तक एक नई बहस छिड़ गई है। एबीपी न्यूज चैनल पर इस मुद्दे को लेकर हुई एक डिबेट शो में शामिल मौलाना अलीमुद्दीन असदी ने कहा कि अगर ज्ञानवापी को लेकर किसी तरह का विवाद होता तो पीएम मोदी ने अभी एक भव्य मंदिर बनाया तो ज्ञानवापी को क्यों छोड़ते?
बता दें कि मौलाना अलीमुद्दीन असदी पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने डिबेट में कहा, “अगर विवाद होता तो जब कई मंदिरों को तोड़कर भोलेनाथ के नाम पर अभी भव्य मंदिर बना दिया। तो ज्ञानवापी, श्रृंगार गौरी को क्यों छोड़ते? अगर इसकी जरुरत होती तो रुकना पड़ता ना।”
इसपर एंकर रुबिका लियाकत ने कहा कि आप लोग काफी कन्फ्यूज हो रहे हैं। एंकर ने कहा, “वहां पर मंदिर और मस्जिद की लड़ाई है ही नहीं। लड़ाई मां श्रृंगार गौरी की उपासना-परिक्रमा करने की है।” एंकर ने कहा कि इस मामले को आप अयोध्या की तरह बनाना चाहते हैं।
प्रभु आपको पता ही नहीं है: मौलाना ने कहा कि पूजा करने के मामले में मस्जिद से यह अलग मामला है। श्रृंगार गौरी की जो दीवार है वो मस्जिद के अगले हिस्से के बैक साइड पर है। इस पर एंकर ने कहा कि प्रभु आपको पता ही नहीं है।
आगे एंकर ने पोडियम के सहारे मौलाना को समझाने की कोशिश की। एंकर ने पोडियम को माता श्रृंगार गौरी मंदिर की दीवार बताते हुए कहा, “इसे आप मंदिर की दीवार मानिए, इसके पीछे ज्ञानवापी है। श्रृंगार गौरी में हिंदू महिलाएं पूजा अर्चना करती हैं फिर उन्हें परिक्रमा करनी होती है। लेकिन परिक्रमा का हिस्सा ज्ञानवापी के परिसर में आता है, जिसके चलते वो परिक्रमा नहीं कर पाती। उनकी पूजा पूरी नहीं हो पाती है।”
5 महिलाओं ने दायर की याचिका: बता दें कि वाराणसी कोर्ट में पांच महिलाओं रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास और राखी सिंह ने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना करने के लिए एक याचिका दायर की है। दरअसल यह मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद है। इसलिए इसमें पूजा करने के लिए कोर्ट की इजाजत लेनी पड़ी है।