custodial death case, sanjiv bhatt conviction: गुजरात हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की ओर से दाखिल याचिका के एक हिस्से पर कड़ी आपत्ति जताई। इस याचिका में संजीव भट्ट ने मांग की है कि उन्हें 29 साल के एक शख्स की कस्टडी में हुई मौत के मामले में सुनाई गई सजा को सस्पेंड किया जाए। उनकी याचिका के एक हिस्से में निचली अदालतों की ट्रायल प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
भट्ट की याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे पब्लिक प्रासिक्यूटर और सीनियर वकील मितेश अमीन ने सुनवाई के दौरान मंगलवार को भट्ट के बर्ताव पर भी सवाल उठाए। भट्ट की याचिका के एक हिस्से का जिक्र करते हुए अमीन ने कहा कि उनकी याचिका में ट्रायल प्रक्रिया और जज के रुख पर सवाल उठाए गए हैं। इस पर डिविजन बेंच की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भट्ट के वकीलों बीबी नाइक और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एकांत आहूजा से कहा, ‘आप कोर्ट को यूं ही विवाद में नहीं खींच सकते। मैं ऐसा नहीं कह रही लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों में ऐसा कहा गया है। आप जज पर निजी हमले नहीं कर सकते।’
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जब नाइक ने अपना पक्ष रखना चाहा, जस्टिस त्रिवेदी ने कहा, ‘हम ऐक्शन ले सकते हैं अगर आप बिना शर्त माफी नहीं मांगते हैं।’ इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दुख जताया और कहा कि वे कथित पैराग्राफ को याचिका से हटाने के लिए तैयार हैं। बता दें कि जामनगर की सेशंस कोर्ट ने भट्ट और 6 और पुलिसवालों को इस साल जून में जमजोधपुर कस्टोडियल डेथ मामले में सजा दी गई थी। यह मामला 30 अक्टूबर 1990 का है, जब जामनगर के तत्कालीन अडिशनल सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस भट्ट और कुछ अन्य पुलिसवालों ने जमजोधपुर कस्बे से 133 लोगों को गिरफ्तार किया था।
इन लोगों पर बीजेपी और विहिप की ओर से आयोजित देशव्यापी बंद के दौरान हिंसा का आरोप था। तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को उनकी रथयात्रा के दौरान गिरफ्तार किए जाने के विरोध में बीजेपी ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया था। कस्टडी में हुई मौत के मामले में जिन 7 लोगों को दोषी माना गया, उनमें भट्ट और तत्कालीन पुलिस कॉन्स्टेबल प्रवीनसिंह जाला को आजीवन कारावास की सजा दी गई। दोनों ने सजा के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया।