Bilkis Bano Case in Supreme Court: देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित को देश के 134 पूर्व शीर्ष ब्यूरोक्रेट्स ने एक खुला पत्र भेजकर 2002 में गोधरा हिंसा के बाद बिलकिस बानो गैंग रेप केस में रिहा किए गए 11 दोषियों को फिर से जेल भेजने का आदेश देने का अनुरोध किया है। सेवानिवृत्त हो चुके इन शीर्ष अफसरों ने सीजेआई को लिखे खुले पत्र में कहा है कि इस मामले में ‘‘बेहद गलत फैसला’’ हुआ है और इसे तुरंत सुधारा जाना चाहिए। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने और गैंग रेप तथा हत्या के दोषी सभी 11 लोगों को उम्रकैद की सजा काटने के लिए वापस जेलने का आग्रह किया है।
पत्र में कहा गया है, ‘‘भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर कुछ दिन पहले गुजरात में जो हुआ उससे हमारे देश के ज्यादातर लोगों की तरह, हम भी स्तब्ध हैं।’’ ‘कंस्टीटयूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वावधान में लिखे गए पत्र में जिन 134 लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिवों शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह और पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई शामिल हैं। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि दोषियों की रिहाई से ‘‘देश में नाराजगी है।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘हमने आपको पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि हम गुजरात सरकार के इस फैसले से बहुत व्यथित हैं और हम मानते हैं कि केवल उच्चतम न्यायालय के पास वह अधिकार क्षेत्र है, जिसके जरिये वह इस बेहद गलत निर्णय को सुधार सकता है।’’ जस्टिस उदय उमेश ललित शनिवार को ही देश के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है।
15 साल की सजा के बाद एक आरोपी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
पत्र में कहा गया है कि 15 साल जेल की सजा काटने के बाद, एक आरोपी राधेश्याम शाह ने अपनी समय से पहले रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसमें कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने राधेश्याम शाह की याचिका पर यह भी निर्देश दिया था कि गुजरात सरकार द्वारा समय से पहले रिहाई के आवेदन पर नौ जुलाई, 1992 की माफी नीति के तहत दो महीने के भीतर विचार किया जाए।
पत्र में कहा गया है, ‘‘हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को इतना जरूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार।’’