Govt vs Supreme Court: न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सरकार और न्यायपालिका में गतिरोध के बीच सरकार ने हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम (Collegium) द्वारा 21 लंबित सिफारिशों में से 19 को वापस कर दिया है।
द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, 28 नवंबर को न्यायिक नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से घंटों पहले सिफारिशें वापस कर दी गईं। इनमें 10 नाम ऐसे नाम भी शामिल हैं जिन्हें कॉलेजियम ने दोहराया था और 9 नाम पहली सिफारिश के बाद पेंडिंग थे। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि दो सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।
सरकार के पास पेंडिंग हैं कई नाम: ये सिफारिशें वकील संतोष गोविंद चपलगांवकर और मिलिंद मनोहर सथाये को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए हैं। कॉलेजियम ने 12 सितंबर 2022 को इनके नामों की सिफारिश की थी। कॉलेजियम के दोबारा भेजने के बाद लौटाए गए 10 नामों में से पांच इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए थे, दो कलकत्ता उच्च न्यायालय के लिए, केरल हाई कोर्ट के लिए दो और एक कर्नाटक हाई कोर्ट के लिए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में सिफारिश करने वाला कॉलेजियम का 26 सितंबर का फैसला भी सरकार के पास पेंडिंग है।
लौटाए गए दस नामों में से 5 नाम इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad HC) के लिए: उच्च न्यायालयों के लिए कॉलेजियम द्वारा दोहराए जाने के बाद लौटाए गए 10 नामों में से 5 नाम इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए हैं। ये नाम हैं- रिशद मुर्तजा, शिशिर जैन, ध्रुव माथुर, विमलेन्दु त्रिपाठी और मनु खरे। वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट के लिए अमितेष बनर्जी और साक्या सेन, कर्नाटक हाई कोर्ट के लिए नागेंद्र रामचंद्र नायक के नाम कॉलेजियम ने भेजे थे। केरल उच्च न्यायालय के लिए कॉलेजियम ने संजीता कलूर अरक्कल और अरविंद कुमार बाबू के नाम भेजे थे।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जारी किया था नोटिस: इससे पहले, 11 नवंबर को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने कानून और न्याय मंत्रालय में न्याय सचिव और अतिरिक्त सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को नोटिस जारी किया था। नोटिस में उनसे 28 नवंबर से पहले जवाब मांगा गया था कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों से पीछे क्यों हट रही है। परंपरागत रूप से अगर नाम दोहराए जाते हैं तो सरकार कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए बाध्य है।