Kiren Rijiju On Judiciary: कांस्टीट्यूशन डे (Constitution Day) पर सुप्रीम कोर्ट लॉन (Supreme Court Lawn) में आयोजित समारोह में रिजीजु (Kiren Rijiju) ने कहा कि सरकार (Government) हमेशा से अदालत का सम्मान करती है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) के प्रधान विकास सिंह (Vikas Singh) ने इस मौके पर कहा कि कॉलेजियम की सिफारिशों को सरकार जिस तरह से टाल रही है वो ठीक नहीं है। सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार हो रहे गतिरोध के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने शुक्रवार को लोकतंत्र के दो स्तंभों के बीच भ्रातृत्व संबंधों की हिमायत करते हुए कहा कि वे भाइयों की तरह हैं और उन्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए।
हम सब एक ही माता-पिता की संतानः Kiren Rijiju
रिजीजु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर नहीं किया है और वह हमेशा यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता अछूती रहे। उन्होंने संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, हम एक ही माता-पिता की संतान हैं.. हम भाई-भाई हैं। आपस में लड़ना-झगड़ना ठीक नहीं है। हम सब मिलकर काम करेंगे और देश को मजबूत बनाएंगे।’
सरकार ने नहीं किया collegium recommendations का सम्मान विकास
कानून मंत्री ने कहा कि भारत सरकार हमेशा भारतीय न्यायपालिका का समर्थन करेगी और इसे सशक्त बनाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों को मिलकर काम करना चाहिए और एक-दूसरे का मार्गदर्शन करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने (लोकतंत्र के) दो स्तंभों के बीच संघर्ष का जिक्र किया और कहा कि जैसा कि प्रदर्शित किया गया है- सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिशों का सम्मान सरकार द्वारा नहीं किया गया है।
Supreme Court ने की थी Arun Goyal की नियुक्ति, मचा घमासान
‘टाइम्स नाउ समिट’ में पूछे गए एक सवाल कि उच्चतम न्यायालय यह जानना चाहता है कि कानून मंत्री ने एक विशेष चुनाव आयुक्त को कैसे चुना, रिजीजू ने कहा,‘फिर लोग पूछेंगे कि कॉलेजियम ने न्यायाधीश बनने के लिए किसी खास व्यक्ति का चयन कैसे किया?’ उन्होंने कहा, ‘इस प्रश्न से मुश्किल स्थिति पैदा होगी। इसलिए एक न्यायाधीश को अपने निर्णय के माध्यम से बोलना चाहिए।’ उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल की नियुक्ति में जल्दबाजी पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाते हुए कहा था कि गोयल की फाइल 24 घंटे के भीतर विभागों के अंदर ‘बिजली की रफ्तार’ से आगे बढ़ी।
Centre ने Supreme Court की टिप्पणियों का किया था विरोध
केंद्र ने न्यायालय की टिप्पणियों का विरोध किया था और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने दलील दी थी कि गोयल की नियुक्ति से जुड़े पूरे मामले को व्यापकता में देखे जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि केंद्रीय कानून मंत्री ने चार नामों को कैसे चयनित किया, जिसमें से एक नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री को निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए की गई थी, जबकि उनमें से किसी का भी चुनाव आयोग में निर्धारित छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं हो सकेगा। उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और संबधित पक्षों से पांच दिन में लिखित जवाब देने को कहा था।