धरती पर अथाह जल के स्रोत अंटार्कटिका के हिमनद थवेट्स में दरार आना शुरू हो गया है। अगले पांच साल में यह हिमनद टूट जाएगा, जिससे समुद्र का जलस्तर 65 इंच तक बढ़ जाएगा। इस कारण मुंबई जैसे दुनिया के तटवर्ती शहर के किनारे वाले हिस्से टूट सकते हैं। यह हिमनद 170,312 किमी लंबा है जो अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के बराबर है।
विशेषज्ञों ने कहा कि इस ‘थवेट्स’ हिमनद में आ रही दरार की गति बहुत ज्यादा है। इस बर्फ से निकला पानी वैश्विक स्तर पर समुद्र में जलस्तर में कुल बढ़ोत्तरी का चार फीसद होगा। सोमवार को जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक, समुद्र का गर्म होता पानी थवेट्स हिमनद की पकड़ को अंटार्कटिका से कमजोर कर रहा है। इससे हिमनद की सतह पर दरार आ रही है। इस संबंध में उपग्रह से मिले आंकड़ों और तस्वीरों को अमेरिका की जिओफिजिकल यूनियन की वार्षिक बैठक में पेश किया गया। तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि हिमनद में कई विशाल और तिरछी दरारें हैं। शोधकर्ता प्रोफेसर टेड स्काबोस ने कहा, ‘हिमनद के मोर्चे पर संभवत: एक दशक से भी कम समय में बड़ा बदलाव होने जा रहा है।’
इस शोध को करने वाले ओरेगांव स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध दल के मुखिया इरिन पेट्टटि ने कहा कि जैसे कार के आगे के शीशे में हल्का सा झटका लगने पर वह कई टुकड़ों में बंट जाता है, कुछ उसी तरह से यहां भी है। उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में तीन गुना रफ्तार से तेजी आएगी। यही नहीं इस हिमनद के टूटने के बाद और ज्यादा हिमनद अंटार्कटिका से अलग होंगे। एक शोध के मुताबिक 1980 के दशक से लेकर अब तक कम से कम छह सौ अरब टन बर्फ नष्ट हो चुकी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, थवेट्स के टूट जाने से दुनिया में समुद्र के स्तर में अगर 65 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई तो समुद्रतटीय रेखा बदल जाएगी। उदाहरण सामने है। वर्ष 1900 के बाद से समुद्र के स्तर में लगभग 20 सेमी की वृद्धि हुई है, इस वृद्धि के परिणामस्वरूप तटीय इलाकों में रहने वाले समुदाय अपने घरों से बाहर निकालने के लिए मजबूर हो चुके हैं और बाढ़, खारे पानी के दूषित होने और आवास के नुकसान जैसी पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं।
पश्चिम अंटार्कटिका के हिमनदों को ‘मरीन आइस क्लिफ इंस्टैबिलिटी’ या एमआइसीआइ नामक एक तंत्र के कारण कमजोर माना जाता है, जहां बर्फ के हटने से विशाल और अस्थिर हिम चट्टानें उजागर होकर समुद्र में गिरती हैं। समुद्र के जल स्तर में कई मीटर की वृद्धि दुनिया के कई प्रमुख शहरों को जलमग्न कर देगी – जिनमें शंघाई, न्यूयार्क, मियामी, तोकियो और मुंबई शामिल हैं। यह तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूमि पर फैल जाएगा और बड़े पैमाने पर किरिबाती, तुवालु और मालदीव जैसे निचले द्वीप राष्ट्रों को निगल जाएगा।
थवेट्स एक तरह की बर्फ की जमी हुई नदी है। यह पहले से ही वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि का लगभग चार फीसद योगदान देता है। वर्ष 2000 के बाद से, हिमनद को 1000 अरब टन से अधिक बर्फ का शुद्ध नुकसान हुआ है और यह पिछले तीन दशकों में लगातार बढ़ा है। 30 वर्षों में इसके प्रवाह की गति दोगुनी हो गई है, अर्थात 1990 के दशक की तुलना में दोगुनी बर्फ समुद्र में जा रही है। 80 मील चौड़ा थवेट्स हिमनद, दुनिया का सबसे चौड़ा हिमनद है।
इसे बर्फ के एक तैरते हुए प्लेटफार्म (आइस शेल्फ) ने अपनी जगह पर रोक रखा है। यह प्लेटफार्म हिमनद को रोकता है और इसके बहने की रफ्तार को भी कम करता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इस बात की पुष्टि की है कि यह बर्फ का प्लेटफार्म तेजी से अस्थिर हो रहा है। ओरेगान स्टेट यूनिवर्सिटी के एक ग्लेशियोलाजिस्ट एरिन पेटिट के अनुसार, पूर्वी बर्फ के शेल्फ की सतह पर आड़ी तिरछी दरारें आ चुकी हैं।