कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर राहुल गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का जिक्र करते हुए एक खुलासा किया है। उन्होंने जिस समय की इस घटना का जिक्र किया है, उस समय हिमंता कांग्रेस में थे। गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि राहुल गांधी को जब बताया गया कि हिमंता बिस्वा सरमा को असम में बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन हासिल है और वह बगावत करने के साथ ही पार्टी छोड़ने जा रहे हैं तो राहुल गांधी का दो टूक जवाब था कि ‘जाने दीजिए उन्हें ।’
गुलाम नबी आजाद ने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘आजाद’ में हिमंत बिस्व सरमा और कुछ अन्य मामलों पर प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने हिमंता के मामले को सही ढंग से नहीं संभाला और सोनिया गांधी ने भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को इसका आभास था कि सरमा के पार्टी से चले जाने से क्या नुकसान होने वाला है।
सरमा कांग्रेस छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और फिलहाल वह असम के मुख्यमंत्री हैं। सितंबर, 2015 में जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो उनके साथ 10 विधायक भी चले गए। आजाद ने अपनी आत्मकथा में कहा, “राहुल ने सीधे-सीधे यह कह दिया था कि असम में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। हमने उनसे कहा कि हिमंत के पास बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन है और वह पार्टी छोड़ देंगे तो राहुल ने कहा कि उनको जाने दीजिए।”
गुलाम नबी आजाद के मुताबिक, उन्हें यह नहीं पता कि राहुल ने यह खुद को मजबूत दिखाने के लिए किया था या फिर वह इस बात से अनभिज्ञ थे कि हिमंता के जाने का असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में दूरगामी असर होगा। आजाद ने किताब में लिखा है, “मैंने इस बारे में सोनिया गांधी को सूचित किया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने हस्तपेक्ष नहीं किया। इसके बजाय सोनिया गांधी ने मुझसे ये कहा कि हिमंत से कहो कि समस्या पैदा न करें।”