राजस्थान में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से तकरीबन बाहर हो चुके हैं। ऐसे में कुछ और नेताओं के नाम पार्टी चीफ की रेस में सामने आए हैं। सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से गहलोत ने बर्ताव किया उससे गांधी परिवार खासा आहत है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वफादारी का दूसरा नाम माने जाने वाले सीएम ऐसा कदम भी उठा सकते हैं।
CWC के एक कद्दावर नेता का कहना है कि अह गहलोत के लिए गांधी परिवार के मन में कोई सॉफ्ट कार्नर नहीं बचा। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 30 सितंबर नामांकन की आखिरी तारीफ है। माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक रेस में शामिल हो सकते हैं।
ध्यान रहे कि कांग्रेस अध्यक्षा ने राजस्थान के सियासी संकट को टालने के लिए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा था। दोनों ने विधायकों से कई दौर की बात की। लेकिन जिस तरह से गहलोत गुट के 82 विधायकों ने इस्तीफों की झड़ी लगाई, उससे दोनों नेता आहत थे। दिल्ली लौटे माकन ने सारे ड्रामे को ‘conflict of interest’तक करार दिया।
सूत्रों का कहना है कि गहलोत किसी भी सूरत में सचिन पायलट के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उनका दबाव है कि सीएम बदलना है तो उनके खेमे से ही किसी को चुन लो। दूसरी तरफ सचिन किसी भी सूरत में हार मानने को तैयार नहीं। माकन ने सोनिया गांधी को सारे हालात से अवगत करा दिया है। फिलहाल 10 जनपथ में शीर्ष नेताओं की मीटिंग चल रही है। हालात किस कदर नाजुक हैं कि प्रियंका गांधी खुद मीटिंग में शामिल हुईं तो राहुल गांधी अपनी यात्रा के दौरान लगातार अपडेट लेते रहे।
बीजेपी की आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय कहते हैं कि गहलोत के मामले में दोहरा मानदंड क्यों अपनाया जा रहा है। आखिर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी तो प्रधानमंत्री होते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। अगर गहलोत चुनाव जीत जाते हैं तो वो भी उनकी ही तरह से सीएम से साथ कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं। उधर आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का कहना है कि अब कांग्रेस के दिन लद चुके। केजरीवाल ही सही विकल्प हैं।