Gay Adovcate Saurabh Kirpal : समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) ने कोलकाता में लिटरेरी मीट (Kolkata Literary Meet) के मौके पर अपनी नई किताब, ‘फिफ्टीन जजमेंट्स: केसेज दैट शेप्ड इंडियाज फाइनेंशियल लैंडस्केप’ के प्रमोशन के दौरान द इंडियन एक्सप्रेस के साथ अपनी ज़िंदगी से जुड़े पहलुओं पर बात की है। इस दौरान सौरभ कृपाल ने अपने बचपन, पार्टनर से हुई मुलाकात और इसे लेकर परिवार का रिएक्शन भी साझा किया है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट जज नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के नाम की सिफ़ारिश और केंद्र सरकार की इसे लेकर आपत्ति का मामला लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत में जजों की नियुक्ति के लिए नामों की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम करता है। कॉलेजियम सारे नाम सरकार के पास भेजता है और वो इस पर आख़िरी मुहर लगाती है। सरकार ने सौरभ कृपाल के नाम पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनके पार्टनर स्विट्ज़रलैंड के नागरिक हैं।
“मुझे बस इतना पता था कि मुझे लड़कों से प्यार है”
अपनी ज़िंदगी से जुड़े अहसास को साझा करते हुए 1980 के दशक में दिल्ली में पले-बढ़े सौरभ कृपाल ने कहा
“उस वक़्त मुझे जो महसूस होता था, उसके लिए कोई शब्दावली नहीं थी। उस समय ‘गे’ शब्द मुश्किल से ही अस्तित्व में था। मुझे बस इतना पता था कि मुझे लड़कों से प्यार है। जैसे-जैसे समय बीतता गया मैंने खुद को बेहतर समझना शुरू कर दिया, मैं खुद को और प्यार करने लगा। मैंने खुद को स्वीकार करना शुरू कर दिया”
सौरभ कृपाल उन पांच अधिवक्ताओं में शामिल हैं, जिनका नाम सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए दोहराया था। अगर केंद्र की मंजूरी मिलती है तो वह भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक न्यायाधीश हो सकते हैं।
कैसे हुई पार्टनर Nicolas Germain Bachmann से मुलाकात
सौरभ कृपाल न्यायमूर्ति बी एन कृपाल (भारत के 31वें मुख्य न्यायाधीश) और अरुणा कृपाल के तीन बच्चों में सबसे छोटे हैं। सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक होने के बाद कृपाल कानून में स्नातक की डिग्री के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए थे। उनका कहना है कि यह उस समय के आसपास था जब वह अपनी दूसरी डिग्री के लिए यूके में थे। उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद खुद को थोड़ा बेहतर समझना शुरू किया। वह कहते हैं
“एक बच्चे के रूप में, जब मैं अलग-अलग विषयों की जानकारी हासिल करता था तब मैं यौन क्रिया का वर्णन को पढ़कर भ्रमित हो जाता था। मैं एक महिला के साथ कुछ भी करने की कल्पना नहीं कर सकता था, खासकर जब ऐसे अहसास के साथ जब मुझे स्कूल में लड़कों पर क्रश था! उस कोई किताबें नहीं थीं, कोई इंटरनेट नहीं था – मूल रूप से इसे लेकर कोई जानकारी नहीं थी”
2001 में जब वह जिनेवा में थे उस दौरान उनकी मुलाकात एक स्विस नागरिक निकोलस जर्मेन बाचमैन से हुई। निकोलस, जो रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के साथ काम कर रहे थे और सिएरे लियोन के प्रमुख थे, अपनी मां से मिलने जिनेवा जा रहे थे। कृपाल कहते हैं, “निको को तीन महीने के लिए जिनेवा में रहना था, लेकिन हमें इतना ज्यादा प्यार हो गया था कि वह दो हफ्ते में मेरे साथ आ गए।
परिवार के रिएक्शन को लेकर क्या बोले Saurabh Kirpal
सौरभ कृपाल ने कहा कि “मेरे दोस्त और परिवार निको से मिले। हमारी आशंकाएं अक्सर इस बात से उपजती हैं कि परिवार कैसे प्रतिक्रिया देगा… मेरे मामले में शुरू से ही मेरे माता-पिता को उससे प्यार हो गया था। वे उसे पसंद करते थे।