Supreme Court Collegium Controversy: कॉलेजियम (Collegium) द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जज के तौर पर समलैंगिक वकील (Gay Advocate) सौरभ किरपाल (Saurabh Kirpal) के नाम की सिफारिश को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है। सरकार का तर्क है कि एडवोकेट सौरभ किरपाल समलैंगिक (Gay) हैं और पक्षपाती हो सकते हैं। इस पर सौरभ का कहना है कि प्रत्येक जज का एक दृष्टिकोण होगा, यह पक्षपात नहीं है।
हर किसी का जीवन के अनुभव के हिसाब से अपना पक्षपात हो सकता है: सौरभ किरपाल
उन्होंने कहा कि यह कहना कि आपकी एक विशेष विचारधारा है इसलिए आप पक्षपाती हैं। इस कारण न्यायाधीशों की नियुक्ति को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता है क्योंकि हर न्यायाधीश, जहां से वे आते हैं उसके हिसाब से उनका किसी न किसी तरह का दृष्टिकोण होगा।
बेंच पर अधिक विविधता की आवश्यकता पर उन्होंने कहा, “वर्तमान में उच्च जाति, विषमलैंगिक और पुरुष जज हैं। हर किसी का अपना नजरिया हो सकता है और उनका अपना पक्षपात हो सकता है। हर किसी का अपने जीवन के अनुभव के हिसाब से पक्षपात हो सकता है। आप जिसे पक्षपात कहते हैं मैं उसको जीवन का अनुभव कहूंगा।”
कहा, मामले की सुनवाई करने वाले जज के नजरिए के आधार पर अलग-अलग परिणाम हो सकते हैं
इससे पहले, सोमवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सौरभ किरपाल ने कहा, “किसी केस पर फैसला अलग-अलग न्यायाधीशों के विचारों पर निर्भर करता है और मामले की सुनवाई करने वाले के आधार पर परिणाम अलग हो सकते हैं। कुछ न्यायाधीशों की बहुत रूढ़िवादी मानसिकता होगी, कुछ की उदार मानसिकता होगी, कुछ स्वाभाविक रूप से सरकार विरोधी हैं और कुछ स्वाभाविक रूप से सरकार समर्थक हैं। यह पार्टी पॉलिटिकल नहीं है, यह एक वैचारिक विश्वास नहीं है कि सरकार सही है या गलत। यह सिर्फ उनका नजरिया है।”
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 34 न्यायाधीश हैं, दो न्यायाधीशों और तीन न्यायाधीशों के बीच 15 बेंच बैठती हैं, और हम जो उस अदालत में अभ्यास करते हैं, अक्सर हंसकर कहते हैं कि भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय नहीं है, भारत के 15 सर्वोच्च न्यायालय हैं।”
बता दें कि सौरभ किरपाल पूर्व सीजेआई भूपिंदर नाथ किरपाल के बेटे हैं। कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया है। सरकार का तर्क है कि सौरभ समलैंगिक हैं और वे पक्षपाती हो सकते हैं। इसके अलावा, उनके पार्टनर एक विदेशी हैं, इससे देश की प्राइवेसी का हनन हो सकता है।