बेंगलुरु में दो दिन से जारी G20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक शनिवार (26 फरवरी) को खत्म हो गई। इस बैठक के बाद ‘G-20 समिट का सारांश और परिणामी दस्तावेज’ जारी किया गया है। बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि FMCBG में लोन में आसानी और क्रिप्टो मैनेजमेंट पर फैसला लिया गया है।
कमजोर देशों के लिए लोन मैनेजमेंट
भारत की अध्यक्षता में वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (FMCBG) की पहली G20 बैठक में निम्न और मध्यम आय वाले देशों की ऋण कमजोरियों को दूर करने और प्रस्तावित नियामक ढांचे के साथ क्रिप्टोकरेंसी के मैनेजमेंट के उपायों पर सहमति जताई गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एफएमसीबीजी लोन मैनेजमेंट के लिए आसान प्रोसेस पर सहमत है। उन्होंने कहा कि कमजोर देश लोन मैनेजमेंट के लिए G20 देशों की ओर देख रहे हैं। चार देशों – घाना, श्रीलंका, जांबिया और इथियोपिया को इस चर्चा से फायदा होगा।
बयान में कहा गया, “हम चाड के लिए लोन मैनेजमेंट के निष्कर्ष का स्वागत करते हैं और जांबिया और इथियोपिया के लिए लोन मैनेजमेंट पर काम को तेजी से पूरा करने का आह्वान करते हैं। हम लोन मैनेजमेंट पर काम करने के लिए घाना के लिए आधिकारिक क्रेडिट कमेटी के तेजी से गठन की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा हम श्रीलंका की कर्ज की स्थिति के तेजी से समाधान की उम्मीद करते हैं।”
क्रिप्टो करेंसी पर गहन चर्चा
वहीं, क्रिप्टो करेंसी पर वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि G20 सदस्य इस पर गहन चर्चा करने और उनके व्यापक प्रभाव को समझने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा, “केंद्रीय बैंक के बाहर कुछ भी मुद्रा नहीं है और यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसे भारत बहुत लंबे समय से अपनाता आ रहा है। हमें खुशी है कि भारत के ऐसे दृष्टिकोण को अब इतने सारे सदस्यों से भी स्वीकृति मिल रही है। लोग मानते हैं कि टेक्नोलॉजी फिनटेक के लिए बहुत उपयोगी है।”
वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध
इससे पहले संयुक्त बयान में कहा गया, “हम G-20 देशों के वित्त मत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स ने 24-25 फरवरी को भारतीय अध्यक्षता में एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की थीम के साथ बैठक की। हम अंतरराष्ट्रीय नीति सहयोग बढ़ाने और मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास हासिल करने की दिशा में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम श्रीलंका की ऋण स्थिति के तत्काल समाधान की उम्मीद करते हैं। इसके अलावा निम्न और मध्य आय वाले देशों में ऋण की कमजोरियों को दूर करने की जरूरत को समझते हैं।”