एफटीएक्स, माउंट गोक्स और वान काइन जैसे विभिन्न विवादों और विफलताओं ने ‘क्रिप्टोकरंसी’ के क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ये घटनाएं सत्यम, लीमन ब्रदर्स, और साउथ सी कंपनी जैसे पिछले बड़े वित्तीय और लेखा संकटों की तरह हैं, जो ना केवल लालच से प्रेरित थे, बल्कि किसी भी सूरत में तेजी से मुनाफा कमाने का नतीजा थे। इन घोटालों में अक्सर बैलेंस शीट को बढ़ाना, शेयरों या टोकन के मूल्य में हेराफेरी करना और निवेशकों को धोखा देने के लिए झूठी मार्केटिंग का उपयोग करना शामिल होता है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी के विनियमन की जरूरत को कई वजहों से बेहद अहम माना जा रहा है।
सवाल और सीख
वर्ष 2022 में कई प्रमुख ‘क्रिप्टोकरंसी’ के धराशायी होने से उपभोक्ताओं और निवेशकों की वित्तीय सुरक्षा को लेकर सवाल तो उठे ही हैं, वित्तीय बाजारों का भरोसा भी डगमगाया है। भरोसे को बरकरार रखने के लिए क्रिप्टोकरंसी विनियमन की अहमियत पर और इसकी आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर कोई सहमति या फ्रेमवर्क मौजूद नहीं होने की वजह से ‘क्रिप्टोकरंसी’ विनियमन यानी रेगुलेशन ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत अपनी जी20 अध्यक्षता का लाभ उठाकर अगुवाई कर सकता है। ‘क्रिप्टोकरंसी’ को विकेंद्रीकृत करने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसका मतलब है कि एक केंद्रीय प्राधिकार उन्हें नियंत्रित नहीं करता।
विनियमन से केंद्रीकृत व्यवस्था
आमतौर पर विकेंद्रीकृत संस्थाओं की तुलना में केंद्रीकृत संस्थाओं के बारे में जानकारी एकत्र करना और उन्हें नियंत्रित करना आसान होता है। देखा जाए तो केंद्रीकृत एक्सचेंज विकेंद्रीकृत की तुलना में मार्जिन ट्रेडिंग और वायदा कारोबार जैसी सुविधाओं और सेवाओं की एक विस्तृत रेंज की पेशकश कर सकते हैं और लेन-देन को अधिक तेजी व कुशलता से संचालित कर सकते हैं।
दूसरी ओर, विकेंद्रीकृत एक्सचेंज में लेन-देन की लागत अधिक होती है, साथ ही ये धीमे होते हैं और इनका उपयोग करना भी जटिल होता है। ‘क्रिप्टोकरंसी’ के उपयोग और इसके व्यापार के लिए नियम-कानून व मानक स्थापित करके, नियामक ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों के जोखिम को कम करने और उपभोक्ताओं को वित्तीय नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।
स्थिरता और विश्वसनीयता
‘क्रिप्टोकरंसी’ के विनियमन का एक अन्य कारण ‘क्रिप्टोकरंसी’ बाजार में अधिक स्थिरता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देना भी है। ‘क्रिप्टोकरंसी’ अत्यधिक अस्थिर हैं और छोटी अवधि में उनके मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। ये सारी चीजे ‘क्रिप्टोकरंसी’ को निवेशकों के लिए अत्यंत जोखिम भरा बना देती हैं और कारोबार के लिए भुगतान के तौर पर इनका इस्तेमाल करना मुश्किल बना देती हैं। ‘क्रिप्टोकरंसी’ को विनियमित करके प्राधिकार इस अस्थिरता को कम करने में मदद कर सकता है और लेन-देन के माध्यम के रूप में इनके उपयोग में अधिक विश्वास पैदा कर सकती है।
‘क्रिप्टोकरंसी’ विनियमन यह सुनिश्चित कर सकता है कि इसका उपयोग इस तरह से किया जाए, जो व्यापक वित्तीय और आर्थिक नीतियों के मुताबिक हो। ‘क्रिप्टोकरंसी’ के उपयोग के लिए नियम निर्धारित करके, प्राधिकार यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है कि उनका उपयोग गैरकानूनी कार्यों के लिए नहीं किया जा सके और वे व्यापक वित्तीय प्रणाली में एक तरह से एकीकृत हों, जो सभी हितधारकों के लिए लाभदायक हो।
भारत में विनियमन
‘क्रिप्टोकरंसी’ पर भारत के नजरिए में बदलाव हुआ है। वर्ष 2013 में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान जारी किया, जिसमें ‘क्रिप्टोकरंसी’ सहित सभी आभासी करंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को उनके उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में चेतावनी दी गई थी। वर्ष 2017 में आरबीआइ ने बैंकों और अन्य विनियमन संस्थाओं को ‘क्रिप्टोकरंसी’ से जुड़े व्यक्तियों या व्यवसायों को सेवाएं प्रदान करने से रोकने के लिए एक सर्कुलर जारी किया।
इस सर्कुलर ने प्रभावी रूप से भारतीय निवासियों के लिए ‘क्रिप्टोकरंसी’ को खरीदना या बेचना गैरकानूनी बना दिया। हालांकि, मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘क्रिप्टोकरंसी’ पर आरबीआइ के प्रतिबंध के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंगत बताते हुए कहा कि प्रतिबंध लगाकर आरबीआइ ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन किया है। इस निर्णय ने भारत में क्रिप्टोकरंसी के उपयोग को प्रभावी रूप से वैध बना दिया और उन्हें व्यापक रूप से अपनाने का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया।
भारत में कवायद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से भारत सरकार ने क्रिप्टोकरंसी के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क यानी नियामक ढांचे बनाने के बारे में सोचना शुरू किया। वर्ष 2022 में वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत में एक डिजिटल करंसी रेगुलेटरी अथारिटी (डीसीआरए) की स्थापना की सिफारिश की गई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022 के आम बजट में कुछ घोषणाएं कीं। पहली बार, सरकार ने आधिकारिक तौर पर क्रिप्टोकरंसी समेत सभी डिजिटल एसेट्स को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के रूप में वर्गीकृत किया। प्रस्तावित कर व्यवस्था में सरकार ने क्रिप्टो-एसेट्स के हस्तांतरण पर 30 फीसद आयकर की घोषणा की है।
क्या कहते हैं जानकार
क्रिप्टोकरंसी विनियमन से जुड़ी जितनी भी चर्चाएं और विचार-विमर्श हों, उनका केंद्र बिंदु उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होना चाहिए। एक केंद्रीय प्राधिकार या मध्यस्थ की कमी ने उपभोक्ताओं का धोखाधड़ी, वित्तीय नुकसान और अन्य जोखिमों से संरक्षण सुनिश्चित करना विशेष रूप से बेहद अहम बना दिया है।
- सुभाष चंद्र गर्ग, पूर्व वित्त सचिव
भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 के पास तीन अहम विषयों पर उल्लेखनीय प्रगति हासिल करने का बेहतरीन मौका है। इन अहम विषयों में शामिल हैं ऋण में राहत, क्रिप्टोकरंसी का विनियमन और जलवायु वित्तपोषण। भारत अपनी अध्यक्षता का लाभ उठाकर अगुआई कर सकता है।
- गीता गोपीनाथ, उप प्रबंध निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष