पूर्व CEC एसवाई कुरैशी ने बताया- सुषमा स्वराज से बोले थे हरियाणा सीएम ओमप्रकाश चौटाला- मुझे बर्बाद करना चाहती हैं!
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बताया कि साल 2001 में उन्हें सुषमा जी ने कॉल कर कहा था कि वह चाहती हैं कि वह उनके मंत्रालय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में डायरेक्टर जनरल दूरदर्शन का पद संभालें।

सुषमा स्वराज के रुप में देश ने एक बड़ी नेता को खो दिया है। पूर्व विदेश मंत्री के निधन से जहां उनके समर्थक निराश और दुखी हैं, वहीं उन अधिकारियों में भी दुख का भाव है, जिन्होंने सुषमा स्वराज के साथ काम किया था। ऐसे ही एक अधिकारी हैं, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे उनके एक लेख में उन्होंने बताया कि ‘साल 2001 में उन्हें सुषमा जी ने कॉल कर कहा था कि वह चाहती हैं कि वह उनके मंत्रालय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में डायरेक्टर जनरल दूरदर्शन का पद संभालें। कुरैशी के अनुसार, वह उस वक्त हरियाणा के मुख्य सचिव का पद संभाल रहे थे और उस वक्त हरियाणा के सीएम ओमप्रकाश चौटाला थे।’
कुरैशी ने बताया कि हरियाणा में उनका पद राज्य का सबसे शक्तिशाली पद था। ऐसे में यदि वह चौटाला से पद को छोड़ने को कहते तो वह उन्हें बेवकूफ समझते। इस पर उन्होंने सुषमा जी से ही ओम प्रकाश चौटाला से बात करने को कहा। कुरैशी याद करते हुए बताते हैं कि इस पर सुषमा जी ने कहा कि ‘याकूब, तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैंने तुम्हारे सीएम की पार्टी का मेरी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध किया था, ऐसे में वह मुझसे शत्रुतापूर्ण संबंध रखते हैं।’
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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, इसके बावजूद उनके कहने पर सुषमा स्वराज ने चौटाला से बात करने के लिए हामी भर दी। कुरैशी ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत मैंने सुनी थी और मैं उसे भूल जाना चाहता हूं। कुरैशी के अनुसार, ओमप्रकाश चौटाला ने सुषमा स्वराज से फोन पर कहा था कि “तुम मेरे मुख्य सचिव को मुझसे दूर कर मुझे बर्बाद करना चाहती हो।”
बहरहाल इसके कुछ दिन बाद सुषमा स्वराज ने फिर उन्हें कॉल किया और पूछा कि वह कैसे उनका नाम दिल्ली फॉरवर्ड कर सकती है? कुरैशी ने बताया कि उस वक्त सीएम के दफ्तर में कई लोग थे, जो उन्हें बाहर करना चाहते थे। इस तरह उनकी ‘मदद’ से वह दिल्ली जा सके।
कुरैशी बताते हैं कि जब दूरदर्शन में डीजी के पद पर उनकी तैनाती हुई तो कई भाजपा नेताओं ने इसका विरोध किया। कई वरिष्ठ नेताओं ने एक मुस्लिम को ऐसे संवेदनशील पद पर तैनात करने के फैसले पर सवाल उठाए। लेकिन सुषमा स्वराज इस दबाव के बीच भी अपने फैसले पर टिकी रहीं। कुरैशी के अनुसार, सुषमा स्वराज उनके खिलाफ होने वाली बातों को उन्हें बताती भी नहीं थी और उन्हें दूसरे स्टॉफ से इसके बारे में पता चलता था। कुरैशी के अनुसार, सुषमा जी ने उन्हें काम करने की पूरी आजादी दी।