पूर्व आप नेता और लेखक आशुतोष ने चरमपंथी संगठन बब्बर खालसा के कैडर बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा माफ करने पर केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने सिखों के प्रकाश पर्व पर अहम फैसला लेते हुए पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को एक नोटिस भेजा। इसमें राजोआना की फांसी को सजा को उम्रकैद में तब्दील करने को कहा गया। बता दें कि बब्बर खालसा के कैडर राजोआना को साल 2007 में तत्कालीन कांग्रेस नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोष में फांसी सजा सुनाई गई थी।

केंद्र के इस फैसले पर चुटकी लेते हुए बुधवार (13 नवंबर, 2019) को पूर्व आप नेता आशुतोष ने ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह का नाम अफजल गुरू होता तो क्या तब भी भाजपा फांसी की सजा माफ कर देती? ट्वीट में लिखा गया, ‘अगर बलवंत सिंह राजोआना का नाम अफजल गुरू होता तो क्या तब भी भाजपा सरकार फांसी की सजा माफ कर देती? आज की राजनीति पर एक सवाल उनसे जो राष्ट्रीय सुरक्षा को देश के लिए सर्वोपरि मानते हैं!’

उल्लेखनीय है कि 52 साल के राजोआना अभी पटियाला की सेंट्रल जेल में बंद हैं। अब केंद्र सरकार की सिफारिश लागू होने के बाद उनकी मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाएगी। पंजाब पुलिस में कांस्टेबल रहे राजोआना को एक अगस्त, 2007 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और 31 मार्च, 2012 को उन्हें मौत की सजा दी जानी थी।

हालांकि ट्वीट के बाद आशुतोष ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आ गए। भाजपा बिहार आईटी सेल के प्रदेश संयोजक मनीष कुमार पांडे ने ट्वी कर लिखा, ‘अच्छा हुआ अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा नहीं भेजा। अफजल कौन था? उसकी फांसी की सजा में माफी की सिफारिश किसी राज्य सरकार ने की? क्यों देश के भोले भाले लोगों को भड़काने का काम कर रहे हो। राजनीति के लिए बहुत से मुद्दे पर हैं, उनपर बहस करो।’ पांडे एक अन्य ट्वीट में लिखते हैं, ‘आप जैसे लोग सुधरोगे नहीं, लेकिन यह न्यू इंडिया है। आप जैसे लोगों को सुधार कर रहेगा। आपको सबसे पहले तो पंजाब की सरकार से सवाल पूछना चाहिए की उन्होंने केंद्र सरकार से माफी की गुजारिश क्यों की? जिस अखबार की कटिंग आपने लगाई है उसे ठीक से पढ़ के समझ लीजिए!’

आर्यन लिखते हैं, ‘याकूब मेनन का नाम बलवंत सिंह होता आप जैसे बुद्धिजीवी आधी रात में सुप्रीम कोर्ट जाकर सुनवाई करवाते?’ डीसी जैन लिखते हैं, ‘क्या इस पर डिबेट करने का साहस दिखाएगा? सच्चाइ यह है कि यह मुस्लिम नहीं है इसलिए इसकी फांसी को उम्र कैद और अब रिहाई…. यह MODI सरका का दोगलापन है.. कश्मीर से 35A हटेगा लेकिन नागालैंड, मणिपुर मिजोरम आदि से नहीं… क्यों? इतिहास कभी माफ नहीं करेगा!’