Pfizer और Moderna से कैसे बेहतर है Oxford-AstraZeneca की कोरोना वैक्सीन? ये हैं पांच कारण
कोरोना पर लगाम लगाने में दोनों ही वैक्सीन 70 फीसदी तक ही कारगर हैं। शुरुआत में खबरें आईं थीं कि ये वैक्सीन काफी सुरक्षित हैं और कोरोना से बचाव में 95 फीसदी तक कारगर हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (University of Oxford) और स्वीडिश-ब्रिटिश (Swedish-British) की प्रमुख फॉर्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोरोनावायरस की वैक्सीन एजेडडी1222 (AZD1222) फाइजर-बॉयोएनटेक (Pfizer-BioNTech) और माडर्ना (Moderna) की कोरोना वैक्सीन से ज्यादा कारगर है।
हालांकि, कोरोना पर लगाम लगाने में दोनों ही वैक्सीन 70 फीसदी तक ही कारगर हैं। शुरुआत में खबरें आईं थीं कि ये वैक्सीन काफी सुरक्षित हैं और कोरोना से बचाव में 95 फीसदी तक कारगर हैं। आइए जानते हैं वे पांच कारण जिसकी वजह से एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन ज्यादा असरकारक (चिकित्सीय दृष्टिकोण और भारत जैसी जगहों के लिए) है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन आधी खुराक की काफी प्रभावी है। दिलचस्प यह है कि जिन वॉलंटियर्स को पहली खुराक में कम मात्रा में वैक्सीन मिली थी और फिर दूसरी खुराक में पूरी मात्रा दी गई, उनमें कोविड-19 का संक्रमण फैलने की आशंका 90 प्रतिशत कम पाई गई। ओवरऑल नतीजों की बात करें तो कोरोना संक्रमण रोकने में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन सबसे ज्यादा 70.4 फीसदी तक असरकारी है।
शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बुजुर्गों समेत सभी आयु वर्गों पर कारगर है। यही नहीं, शुरुआती आंकड़ों में एक दिलचस्प संकेत यह भी मिला है कि यह लक्षणहीन संक्रमण को कम करने में भी सक्षम है। इन दोनों पहलुओं को फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा शुरू किए गए शुरुआती परीक्षण के नतीजों के मुकाबले बड़े फायदे के रूप में देखा जा रहा है।
मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीनों के विपरीत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को सामान्य फ्रिज तापमान पर संग्रहीत किया जा सकता है। वहीं, मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को -20 से -80 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जाना चाहिए। इसका अर्थ है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का रखरखाव ज्यादा आसान और कम लागत में लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन अन्य के मुकाबले काफी सस्ती भी होगी। एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि वह महामारी के दौरान टीके पर लाभ नहीं कमाएगा। उसने सरकारों और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों से इस संबंध में करार भी किया है। एस्ट्राजेनेका के टीके की लागत करीब 2.5 डॉलर (करीब 185 रुपए) आएगी। इसके विपरीत फाइजर के वैक्सीन की कीमत लगभग 20 डॉलर है, जबकि मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन की कीमत 25 डॉलर से ज्यादा है।
ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन भारत में तैयार की जाएगी और भारतीयों तक सबसे पहले पहुंचेगी। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड AZD1222 का एक वैरिएंट है। वर्तमान में भारत में 1,600 वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल हो रहा है। जैसा की बातें सामने आईं हैं उनके मुताबिक, एक बार भारतीय ड्रग रेगुलेटर द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारतीयों के लिए उपलब्ध होने वाला पहला टीका हो सकता है।
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